google.com, pub-2645916089428188, DIRECT, f08c47fec0942fa0 Aapkedwar Delhi News : मध्यप्रदेश
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राज्य स्तरीय कराते प्रतियोगिता में करेगे शिरकत खिलाड़ी


ग्वालियर  । मध्यप्रदेश स्पोर्ट्स कराते एसोसिएशन द्वारा 16 एवं 17 मई को इन्दौर में आयोजित राज्य स्तरीय कराते प्रतियोगिता में भाग लेने जिले का 16 सदस्यीय दल इन्दौर पहुंच चुका है।

कराते .डो एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर के अध्यक्ष डॉ केशव पाण्डेय ने उक्त आशय की जानकारी में बताया है कि सब जूनियर, जूनियर एवं कैडेट संवर्ग में बालक .बालिकाओं की काता, कुमिते स्पर्धाओं में भाग लेने हेतु सना खान, विधि शर्मा, अनुष्का भदौरिया, आकृति तोमर, निशा खान, पृथ्वीराज पाण्डेय,  दिव्य नारायण, प्रेम यादव, अमन शर्मा, योगेश जाटव, सौरभ कुशवाह का चयन किया गया है। 

टीम कोच शिवम कुशवाह, टीम मैनेजर मोहित चौरसिया सहित, कराते डो एसोसियेशन ऑफ ग्वालियर  के कार्यकारी सचिव शिहान संतोष पाण्डेय एवं सचिव सतीश राजे के नेतृत्व में इन्दौर पहुंचे। इस प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक विजेताओं को आगामी 10 से 14 जून तक कराते इंडिया ऑर्गनाइजेशन ‘किओ‘ के द्वारा देहरादून में आयोजित की जाने वाली नेशनल कराते चैंपियनशिप में मध्यप्रदेश की ओर से हिस्सा लेने का अवसर प्राप्त होगा।

संस्था के उपाध्यक्ष डॉ आदित्य भदौरिया, संयुक्त सचिव धर्मेंद्र नागले, राकेश गोस्वामी एवं अमित यादव ने सभी खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।

विभिन्न प्रतियोगिता में 67 बच्चे पुरस्कृत

  


एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसायटी का आयोजन 

ग्वालियर। एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसायटी द्वारा विगत दिनों में चित्रांकन प्रतियोगिता के विभिन्न आयोजन आयोजित किए गए थे संस्था के अध्यक्ष संजय कट्ठल ने बताया कि 22 अप्रैल को अर्थ डे पर चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई 8 मई को रेडक्रास दिवस पर चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई और 11 मई को मदर्स डे के अवसर पर चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी इन सभी प्रतियोगिता में विजेता बने बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा यह पुरस्कार वितरण समारोह 14 मई को स्थानीय दीनदयाल सिटी मॉल फ़ूड कोर्ट में प्रातः 11:00 बजे से किया गया इस आयोजन में मुख्य अतिथि धनश्याम पिरोनिया जी विधायक भांडेर एवम् विशिष्ट अतिथि अनिता गुर्जर थाना प्रभारी अजाक पूर्व सभापति ब्रिजेन्द्र सिंह जादौन उपस्थिति थे इस पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता संजय कट्ठल ने की इस आयोजन की आयोजन समिति मनोज अग्रवाल बाबा डाक्टर मनीष रस्तोगी विशाल जैन अशोक जैन ने सभी विजेताओं को पुरस्कार प्राप्त करने पर बधाइयां प्रेषित की इस अवसर पर मुख्य अतिथि धनश्याम पिरोनिया ने कहा कि बच्चों को मनोबल बढ़ाने के लिए आयोजन होते रहना चाहिए अनिता गुर्जर जी ने कहा की बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा बच्चों को पुरस्कृत करना चाहिए बिजेंद्र सिंह जादौन ने कहा बच्चों के आयोजन होते रहना चाहिए इससे बच्चों का मानसिक विकास होता है 


*अर्थ डे चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता एवम् उप विजेता इस प्रकार है वर्ग ए में प्रथम पुरस्कार जाह्नवीका उड्डयन द्वितीय पुरस्कार आर्यन सक्सेना तृतीय पुरस्कार सानवी दुसेजा वर्ग बी में प्रथम पुरस्कार आध्या जैन द्वितीय पुरस्कार वंशिका बतरा तृतीय पुरस्कार खुशी गुप्ता वर्ग सी में प्रथम पुरस्कार अवनि जैन द्वितीय पुरस्कार ईशिका दुसेजा तृतीय पुरस्कार लव कुश ग़ौर इसके अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार आरिस खान पूर्वी  त्रिपाठी ग़ौरी तोमर दैविक जगताप जाह्नवी वर्मा शास्वत पूर्वी वर्मा त्रिपाठी क्रिसनिका धाकड़ महिमा डेम्बूला रोशनी।

रेडक्रास दिवस पर आयोजित होने वाली चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता टीम इस प्रकार है वैषणवी शर्मा, अथर्व शर्मा जेसिका चौहान, लवकुश गौर, चित्रांशि बाबाडी, ललित शर्मा, मालती सिंह, काशिका कुशवाह, मुस्कान बारोटिया, अक्शा खान, समृद्धि शर्मा, कृतिका पचौरी , आरिश् खान, सारांश कुमार, धृति सिसोदिया, आस्था कुशवाह, निहारिका कुशवाह, भव्या पचोरिया।

मदर्स डे पर आयोजित होने वाली चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता एवम् उप विजेता टीम इस प्रकार है वर्ग ए में प्रथम पुरस्कार दृष्ट प्रजापति द्वितीय पुरस्कार सानवी दुसेजा तृतीय पुरस्कार  प्रनिशा यादव , रोशनी तोमर वर्ग बी में प्रथम पुरस्कार सौम्या अग्रवाल ,ईशा प्रजापति द्वितीय पुरस्कार आकशा खान,सारांश तृतीय पुरस्कार मानवी कोली,निशी गौरी वर्ग सी में प्रथम पुरस्कार जाह्नवी कुशवाहा पूर्वी अग्रवाल द्वितीय पुरस्कार साक्षी शर्मा तृतीय पुरस्कार कृष्णा शर्मा इसके अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार में मुस्कान वोरोठिया ,कशिका कुशवाहा, महिमा डेम्बूला, लवकुश ग़ौर, प्रियंका बाथम, जेसिका चौहान, युवराज नरवरे, निहारिका कुशवाहा,अवनिजा शर्मा, प्रणव अग्रवाल नोमेन हुसैन, द्रष्टि चौरसिया, मनस्वी झा, इशिता दुसेजा, यथार्थ तिवारी रहे।

जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय की जीत: सक्सैना

सरकार से मांग : देश में जातिगत जनगणना कब से होगी इसकी समय सीमा तय करे

ग्वालियर। मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रवि सक्सैना ने कहा है कि देश में होने जा रही जातिगत जनगणना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अडिग लडाई और सामाजिक न्याय की जीत है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह स्पष्ट करे कि देश में जातिगत जनगणना कब से होगी इसकी समय सीमा तय करे। 

मप्र के वरिष्ठ प्रवक्ता रवि सक्सैना ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अडिग रवैये के चलते जातिगत जनगणना सें लेकर नीतिगत सुधारों को लेकर भाजपा को झुकना पडा। उन्होंने कहा कि राुहल गांधी ने भाजपा के वंचित विरोधी नीतियों की पोल खोली और 2023-2024 में संसद से लेकर अपनी रैलियों , प्रेस वार्ताओं सोशल मीडिया पर इस मुददे को सजगता से उठाया। वहीं तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण को एक पारदर्शी समावेशी माडल के रूप में प्रस्तुत करते हुये आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से हटाने की मांग उठाई। और भाजपा को वंचित और पिछडा वर्ग विरोधी मानसिकता को उजागर किया। इसी प्रकार से किसानों से लेकर करोना , नोटबंदी जीएसटी आदि मुददे को भी सजगता से उठाया। 

उन्होंने कहा कि मप्र कांग्रेस कमेटी राहुल गांधी के नेतृत्व में एक समावेशी , न्यायपूर्ण और प्रगतिशील मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए कटिबद्ध है। हम मप्र की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि हम जनता की लडाई को और मजबूत करेंगे और भाजपा की हर जनविरोधी नीति का डटकर मुकाबला करेंगे। पत्रकार वार्ता में प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा, शहर जिलाध्यक्ष डा देवेन्द्र शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह, राम पांडे आदि मौजूद थे।

उप राष्ट्रपति 4 मई को ग्वालियर आएगें

ग्वालियर 3 मई ।  उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ 4 मई को ग्वालियर पधारेंगे। ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होंगे। उप राष्ट्रपति 4 मई को दिल्ली से विशेष विमान द्वारा रवाना होकर शाम 5.45 बजे वायुसेना के विमानतल पर पधारेंगे। 

उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ शाम 5.55 बजे राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों से परस्पर संवाद कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के यहाँ आयोजित मांगलिक कार्य में शामिल होकर रात्रि लगभग 8.05 बजे ग्वालियर विमानतल से नईदिल्ली के लिये प्रस्थान करेंगे। 


शहर के लोगों को साफ पानी उपलब्ध हो : नगर निगम कमिशनर

समीक्षा बैठक 

ग्वालियर 3 मई ।  शहरवासियों को नियमित रूप से शुद्ध और पर्याप्त पेयजल मिले, यह सुनिश्चित किया जाए। पेयजल वितरण में किसी भी प्रकार की समस्या आने पर तत्काल निराकरण भी सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही सीवर से संबंधित समस्याओं का निराकरण भी 24 घंटे में हो, यह सुनिश्चित किया जाए। संबंधित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में पेयजल वितरण की नियमित समीक्षा करें। नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय ने शनिवार को पेयजल वितरण व्यवस्था एवं सीवर संधारण के कार्यों की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए हैं। 

नगर निगम के बाल भवन में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ सीवर एवं पेयजल वितरण के लिये कार्य कर रहे ठेकेदारों को भी बैठक में बुलाकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। बैठक में अपर आयुक्त श्री विजय राज सहित पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री, उपयंत्री एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। 

नाचते महाराज और किराये पर उठते किले

 


ये खबर आपके लिए रोचक भी हो सकती है और तकलीफदेह भी ,लेकिन है ये आपसे बाबस्ता। आपके शहर में यदि कोई छोटा-बड़ा किला है तो आप खुशनसीब हैं ,क्योंकि आपके पास कोई न कोई छोटा-बड़ा इतिहास है। विरासत है। लेकिन यदि आपकी विरासत से जुड़े किलेदार या खुद को महाराज कहने वाले लोग शादियों में ठुमके लगते दिखाई दे तो समझ जाइये कि  देश में लोकशाही आ गयी है ,और यदि आपके शहर में कोई किला किराये पर उठाया जाने लगे तो समझ लीजिये कि आपके सोबे का दीवाला पिटने वाला है या पिट चुका है। 

भारत किलों का देश है। किले का लघु संस्करण गढ़ी होतीं है।  भारत में कुल कितने किले हैं ,मै नहीं जानता। लेकिन मुझे पता है कि  आज के जमाने में भले  ही आप ' ट्रम्प टावर ' बना लें लेकिन कोई नया किला नहीं बना सकते ,क्योंकि किले बनाने की न तकनीक रही और न किले बनाने वाले। अब जमाना बदल गया है ,जो देश अपने किलों की देखरेख विरासत समझकर नहीं कर पाते वे या तो किलों को अनाथ छोड़ देते हैं या फिर उन्हें किराये पर उठा देते हैं। भारत में किलों का रखरखाव सफेद हाथी पालने जैसा है लेकिन बहुत से पुराने राजे-महाराजे ऐसे  हैं जो अपने किलों को बचाये हुए हैं भले ही वे अब न राजा है  न महाराजा और न किलेदार। 

ज्यादातर किले भारतीय पुरातत्व  सर्वेक्षण की सम्पत्ति है।  बाकी किले राज्यों के पुरातत्व या संस्कृति विभाग की सम्पत्ति है।  ज्यादातर किले अपनी दुर्दशा पर रो रहे हैं लेकिन जो नहीं रो रहे और आज भी समय के साथ संघर्ष कर रहे हैं उन्हें हमारी सरकारों ने अब किराये पर उठाना शुरू कर दिया है। सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली का लाल किला डालमियां को किराये पर दिया गया और अब मध्यप्रदेश का सबसे दुर्गम और अजेय माने जाना वाला ग्वालियर का किला इंडिगो एयरलाइंस  को किराये पर देने की तैयारी चल रही है। हालाँकि अभी ग्वालियर किले का एक हिस्सा ही किराये  पर दिया जा रहा है। 

दुनिया में जिन देशों के पास भारत  जैसे विशाल किले नहीं हैं वे अपने छोटे-छोटे किलों की देखरेख भी ऐसे करते हैं जैसे कोई अपने परिवार के बच्चे या बुजुर्ग की करता है।  मैंने दुनिया के अनेक देशों में किले देखे हैं।  यूएई में एक किला है फुजौरा का किला । आप उसे देख कर हंस पड़ेंगे क्योंकि वो किला हमारे यहां की किसी भी गढ़ी से भीछोटा है लेकिन यूएई की सरकार और जनता उस किले पर गर्व करती है।  अमेरिका में छोटे-छोटे समुद्री किले हैं। जो गुजरे जमाने में सुरक्षा की दृष्टि से बनाये गए थे ,लेकिन उन्हें ऐसे बचाकर और संवारकर रखा गया है जैसे वे कल ही बने हों।  अमेरिका वाले अपने किलों से हर दिन डालर छापते हैं। लेकिन हमारे यहां अपवादों को छोड़ किले दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं और लोगों ने किला परिसरों को या तो झुग्गियों में बदल दिया है या उन्हें सार्वजनिक शौचालय में तब्दील कर दिया है।  

बहरहाल बात ग्वालियर किले की हो रही है ।  ग्वालियर का किला कम से कम 700  साल पुराना और ज्यादा से ज्यादा हजार साल पुराना तो है ही। इस किले को किसी सिंधिया ने नहीं बनवाया ।  ये किला सूरज सेन ने बनवाया।  सोलहवीं सदी में तोमरों ने किले पर निर्माण कराये ,बाद में किला अंग्रेजों की फ़ौज के काम आया और अंत में सिंधिया घराने के कब्जे में रहा ।  आजादी के बाद किला हालाँकि भारत सरकार की सम्पति हो गया किन्तु किले के एक बड़े हिस्से पर सिंधिया परिवार का कब्जा कल भी था और आज भी है बल्कि अब कुछ और हिस्सा राज्य सरकार ने सिंधिया को सिंधिया स्कूल के लिए दे दिया है। 

ग्वालियर के किले पार जो मानमंदिर है वो दुनिया के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है ।  जो दाताबंद छोड़ गुरुद्वारा है वो भी हालाँकि आजादी के बाहर बाद बना किन्तु दुनिया भर के सिखों  की आस्था  का केंद्र है। किले पर असंख्य पर्यटक  आ-जा सकते हैं लेकिन सिंधिया परिवार ने यहां आजतक रोप -वे नहीं बनने दिया। किले पर पैदल चढ़ना कष्टकारक है और सभी के पास चार पहिया वाहन होते नहीं हैं ग्वालियर का नगर  निगम तीस साल से ग्वालियर दुर्ग पर रोप -वे बनाना चाहता है लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वे इजाजत नहीं देता क्योंकि ग्वालियर के स्वयंभू महाराज  नहीं चाहते। अगर चाहते होत्ते तो जैसे ग्वालियर किले का एक हिस्सा इंडिगो एयरलाइंस को किराये पर देने का एमओयू हो रहा है वैसे ही रोप -वे भी बन जाता। 

ग्वालियर किला  किराये पर देने की खबर से ग्वालियर वाले हतप्रभ है।  ग्वालियर वालों को उतनी हैरत ग्वालियर के स्वयम्भू महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के बेटे की बारात में नृत्य करते देखकर नहीं हुई जितनी की ग्वालियर किले के एक हिस्से को किराये पर देने की खबर से हुई है। लेकिन मुश्किल ये है कि  ग्वालियर में कोई भी दल इस फैसले का विरोध खुलकर करने की स्थिति में नहीं है। दरअसल जैसे दिल्ली का लाल किला दिल्ली वाले नहीं बचा पाए वैसे ही ग्वालियर  का किला ग्वालियर वाले निजी हाथों में जाने से नहीं बचा पा रहे हैं। बचा भी नहीं सकते ,क्योंकि ग्वालियर वालों के स्वभाव में अब हुजरा  -मुजरा गहरे तक बैठ गया है। लेकिन स्वाभिमान की बात करने वाली और औरंगजेब को ओसामा बिन   लादेन मानने वाली सरकारें अपने किले हंसी-ख़ुशी किराये पर उठा रहीं हैं। तीसरा नंबर किस किले का होगा ,कहा नहीं जा सकता। इसलिए यदि आपके शहर में कोई किला है तो उसे अभी जीभर कर देख लीजिये  ,बाद में पता नहीं आप वहां जा भी पाएं या नहीं ?

हमारे ग्वालियर शहर का किला मुगलों का भी सपना रहा और अंग्रेजों का भी।  गजनी जैसे योद्धा यहां चार-दिन तक डेरा डेल रहे ,यहाँ शाही कैदखाना भी बनाया गया। यहाँ का इतिहास कभी फुरसत में बैठकर पढ़िए ,तब समझ आएगा कि  किला आखिर होता क्या है। दुनिया का कोई भी किला रातों -रात नहीं बनता  उसके साथ बनता है एक इतिहास जो कम से कम किराये पर नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन जिन शहरों को अपने विरसे पर नाज नहीं होता उनकी विरासत शर्मसार होती ही है ।

@ राकेश अचल

बहनें लाड़ली हैं तो भाई लाडले क्यों नही

मध्यप्रदेश में शुरू हुई लाड़ली बहना योजना और उससे मिलती जुलती महतारी योजनाओं ने भाजपा और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को सत्ता तक पहुंचा दिया ,लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि किसी भी चुनाव में बहनों की तरह भाइयों को किसी भी राजनीतिक दल ने लाडला नहीं माना। लाड़ली या लाडला का मतलब होता है '  प्रिय ।  बुंदेली में इसे  ''हिजगरा ' कहते हैं। मध्यप्रदेश में मप्र लोकसेवा आयोग के खिलाफ आंदोलन कर रहे युवकों ने कहा है की उन्हें भी बहनों की तरह सरकार लाडला माने और भत्ता नहीं रोजगार दे।

संसद के मकर द्वार पर धक्का-मुक्की की सर्खियों में मप्र के युवाओं का आंदोलन कहीं दबकर रह गया ।  आपको बता दें कि  इंदौर में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के खिलाफ छात्रों का धरना प्रदर्शन चार दिन से  जारी है। छात्र अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आयोग के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।  चौथे दिन प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने ‘मातम’ मनाया और कहा  कि आज लाड़ली बहना अपनी किस्मत पर रो रही हैं। हम भी लाड़ली बहना हैं लेकिन हमें महीने के 1250 रुपए नहीं, बल्कि एक अच्छी नौकरी चाहिए।

कड़ाके की सर्दी में आंदोलनरत छात्र-छात्राओं की मुख्य माँगें  87/13 फॉर्मूला लागू कर सभी परिणाम सौ प्रतिशत जारी करने । 2019 की मुख्य परीक्षा की कॉपियां दिखने और मार्कशीट जारी करने की है ।छात्र  2023 राज्य सेवा मुख्य परीक्षा का परिणाम तुरंत जारी करने  और एमपीपीएसी 2025 के लिए राज्य सेवा में 700 और वन सेवा में 100 पदों के साथ नोटिफिकेशन जारी करने की भी मांग कर रहे है। मप्र के छात्र  भर्ती प्रक्रिया में सुधार, छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की तरह मुख्य परीक्षा की कॉपियां जांचने की मांग भी कर रहे हैं  कर रहे हैं।प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इंदौर में रहते हुए इन छात्र-छात्रों से मिलने से इंकार कर दिया। आपको बता दें की मप्र सरकार ने लाड़ली बहना योजना के लिए इसी साल के पूरक बजट में 450  करोड़ रूपये का प्रावधान किया है।
लाड़ली बहन योजना के चलते मप्र में भाजपा सरकार 2023  के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीती। इसी योजना को लागू कर महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 2024  में विधानसभा का चुनाव प्रचंड बहुमत से जीता और इसी योजना की नकल ने झारखण्ड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को विधानसभा का चुनाव जितवा दिया। झारखण्ड में इस योजना का नाम महतारी योजना है।  यानि सरकारें इस तरह की योजनाओं से महिलाओं को वोट बैंक में तब्दील कर चुनाव तो जीत रहीं है लेकिन इन्हीं बहनों के पतियों और बच्चों को रोजगार के लिए कोई सरकार तैयार नहीं है।  नौकरी के लिए परीक्षाएं देकर नतीजों का इन्तजार लाड़ली बहनों के पतियों और बच्चों को आंदोलन के लिए मजबूर कर रही है।
मप्र में लाड़ली बहनों को 1250  रूपये ,महाराष्ट्र में 2100  रूपये और झारखण्ड में 3000  रूपये प्रति माह दिए जा रहे हैं। इस तरह की योजना दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने भी इसी तरह की योजना बनाई है। ये योजना फ्रीबिज   के तहत आती है। लाड़ली बहना योजना के जनक मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। उन्होंने ने ही लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई थी। मप्र की इस योजना भाजपा के लिए संजीवनी साबित हुई। भविष्य में भी अधिकांश राजनीतिक दल इसी तरह की योजनाओं पर जोर दे रहे हैं। युवाओं को रोजगार की योजनाआयेँ बनाने और उनके ऊपर अमल करने के बजाय मुफ्त में पैसा बांटना ज्यादा आसान होता है। अब देखते हैं कि आने वाले दिनों में लाडले भाइयों को लाड़ली बहनों की तरह आर्थिक सुरक्षा मिलती है या नहीं।  
@ राकेश अचल 

संगीत की तानों के सौ साल ,और सियासत



मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में होने वाले प्रतिष्ठित तानसेन संगीत समारोह के सौ साल पूरे हो गए ,लेकिन इस सौ साला [शताब्दी ]समारोह में समारोह के मंच पर संगीतज्ञों के बजाय राजनेता ही प्रतिष्ठित हुए,तानसेन और उनकी बिरादरी पार्श्व में चली गयी।  वजह केवल एक कि समारोह कल भी राज्याश्रित था और आज भी राज्याश्रित है। तानसेन मुगल सम्राट अकबर   के दरबार के नौ रत्नों में से एक थे।
देश में संगीत के तमाम समारोह होते हैं ,तानसेन समारोह  भी एक है ।  भारतीय शास्त्रीय संगीत  का ये समारोह इसलिए अनूठा है क्योंकि यहां आने के लिए हर संगीतज्ञ  लालायित होता है।  इस समारोह की उम्र तो सौ साल से ज्यादा है किन्तु राज्याश्रित आयजन के हिसाब से इसके सौ साल 2024 में हुए अर्थात ये समारोह राज्य की मदद से 1924  में हुआ ,हालाँकि इसके आयोजन का सिलसिला इससे भी कहीं ज्यादा पुराना है। इस समारोह में पिछले 44  साल से तानसेन सम्मान देने की भी शुरुवात की गयी ,लेकिन इस सम्मान का भी भगवाकरण कर दिया गया।  उम्मीद थी की तानसेन सम्मान समारोह का शताब्दी वर्ष यादगार आयोजन होगा ,लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
तानसेन समारोह का आगाज संगीत  के प्रति आस्थावान नगर वधुएं किया करतीं थीं ।  वे बिना तामझाम के तानसेन की हजीरा स्थित समाधि स्थल पर आतीं और दो-तीन दिन यहीं डेरा लगाकर नाच-गाकर तानसेन के प्रति अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करती थीं ।  बाद में तत्कालीन रियासत के सिंधिया शासकों को इस गुमानं आयोजन की खबर मिली तो रियासत की और से इस आयोजन के लिए एक कमेटी बनाकर राज सहायता दी जाने लगी।  देश  भर के संगीतज्ञ बिना किसी औपचारिक ामान्तरण के इस आयोजन में आते ,अपनी हाजरी लगते और वापस लौट जाते। ग्वालियर की रसिक जनता को तानसेन समारोह के आयोजन की तिथियां बताने की जरूरत नहीं पड़ती थी।
मध्यप्रदेश बनने के बाद इस आयोजन की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश सरकार ने  जनसम्पर्क विभाग को सौंप दी गयी ।  मप्र शासन इस समारोह के लिए ग्वालियर में सभी जरूरी इंतजाम करती, सांगितज्ञों को न्यौता देकर बुलाती और उन्हें नाममात्र का मानदेय भी देती।  मुझे याद है की 1984  तक देश के तमाम नामचीन्ह कलाकर इस समारोह में शामिल होने आते थे और बिना किसी समय सीमा के देर रात  तक गाते-बजाते थे।  समारोह में तब सुविधाएं नाममात्र की हुआ करतीं थी।  अधिकांश संगीतज्ञ अपने शिष्यों के घर रुकते थे, कुछ को ही होटल की सुविधा दी जाती थी। 1980  में सरकार ने तानसेन सम्मान देने का श्रीगणेश किया। तब सम्मान की राशि मात्र 5000  रूपये थी।
तानसेन समारोह के सौ वर्षों की यात्रा में से कम से कम 50  साल की यात्रा का मैं चश्मदीद हूँ ।  मेरे जैसे सैकड़ों लोग ग्वालियर में हैं ,अनेक तो ऐसे भी हैं जिन्हें समारोह के सत्तर-अस्सी वर्ष तक की स्मृतियाँ हैं। मैंने इस समारोह में बीती सदी के और इस सदी के तमाम नामचीन्ह और शीर्षस्थ संगीतज्ञों  को देखा और सुना है । और आज इसी समारोह में देश के तमाम शीर्षस्थ संगीतज्ञ दुर्लभ हो गए हैं।  न आयोजक उन्हें बुला पाते हैं और न वे आते हैं ,क्योंकि एक तो उनका मानदेय आड़े आ जाता है और कभी-कभी आयोजन समिति यानि सरकार का व्यवहार सांगितगों को आहत करता है ।
मुझे यद् है कि  तानसेन समारोह में शामिल होने के लिए पद्मविभूषण संगीतज्ञ पंडित कृष्णराव शंकर पंडित अपने तांगे में बैठकर आया करते थे। उन्होंने कभी भी आयोजनकर्ताओं से कार नहीं मांगी।  एक जमाना था जब संगीत रसिकों को समारोह स्थल तक लाने और वापस छोड़ने के लिए स्थानीय प्रशासन सिटी बसों का निशुल्क इंतजाम करता था ,लेकिन अब जमाना बदल गया है।  समारोह की चमक -दमक विश्व स्तरीय हो गयी है लेकिन समारोह के बजट का बड़ा हिस्सा इसी चमक-दमक पर खर्च होता है। संगतज्ञों और कला रसिकों पर बहुत कम खर्च किया जाता है।  संगीतज्ञों के साथ सरकार का व्यवहार भी व्यावसायिक  हो गया है। आज जितना खर्च केवल मंच   सज्जा पर होता है ,एक जमाने में उतने पैसे में पूरा समारोह हो जाता था।
तानसेन की आत्मा अब समारोह से नदारद नजर आती है। तानसेन समारोह के शताब्दी समारोह के मौके पर हालांकि विशेष स्मारिका का प्रकाशन हुआ, लघु वृत्तचित्र भी बना, प्रदर्शनियां  भी लगायी गयीं ,लेकिन सरकार ने इस मौके को यादगार बनाने का कोई उपाय नहीं किया ।  ये मौक़ा था जब देश में मौजूद तानसेन सम्मान से अलंकृत सभी संगीतज्ञों   को एक बार फिर मंचासीन किया जा सकता था।  ये मौक़ा था जब नेतागण संगीत समारोह के उद्घाटन के लिए देश के किसी शीर्षस्थ संगीतज्ञ को आमंत्रित कर सकते थे ,लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।  तानसेन समारोह के शताब्दी समारोह के मंच पर वे ही खददरधारी नेता,मंत्री,मुख्यमनत्री और केंद्रीय मंत्री नमूदार हुए जो कभी लेडी किलर कहे जाते हैं तो कभी दस हजर करोड़ की डील करने वाले। जिन्हें संगीत  का ककहरा नहीं आता।
तानसेन  शताब्दी समारोह की आलोचना का मेरा कोई मकसद  नहीं है। आलोचना करने से समारोह के स्वरूप पर कोई असर भी नहीं होना क्योंकि मैं ये सब पहले करके देख चूका हूँ। तानसेन समारोह हो रहा है, ये ही बड़ी बात है अन्यथा आज तो वो दौर है जब तानसेन के मियां तानसेन होने का बहाना बनाकर भी इस समारोह से सरकार हाथ खींच सकती है। सरकार की तानसेन पर कृपा है ,ग्वालियर पर अहसान है कि  सरकार ने इस समारोह के  बजट में कटौती नहीं की। मुख्यमंत्री जी इसके लिए समय निकालकर ग्वालियर आये। अन्यथा एक जमाना था  कि  प्रदेश के तमाम मुख्यमंत्री इस समारोह में आने से सिर्फ इस्सलिये कतराते थे क्योंकि उनसे कहा जाता था कि  जो इस समारोह के उद्घाटन के लिए आया उसकी कुर्सी बची नहीं।
कल का तानसेन समारोह आज के तानसेन समारोह से एकदम भिन्न है ।  पहले समारोह बाबुओं के हाथ में नहीं था,स्थानीय संगीतज्ञ परिवारों की उसमें सक्रिय भागीदारी थी ।  श्रोताओं की सीधी भागीदारी थी ।  तब समारोह भले ही वैश्विक नहीं था लेकिन अब समारोह में विदेशी संगीतज्ञों के बजाय विदेशी आर्क्रेष्ट्रा आमंत्रित किये जाने लगे है।  शताब्दी समारोह के बहाने सरकार ने दिल्ली समेत देश के अनेक शहरों में तानसेन को याद किया। लेकिन इस शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए एक डाक टिकिट जारी करने के अलावा और कोई जतन नहीं किया गया। ये मौक़ा था जब तानसेन स्मारक,तानसेन संगीत  पीठ  की स्थापना या ,तानसेन कलाबीथिका के विस्तार का संकल्प लिया जा सकता था। तानसेन समारोह स्थल को अतिक्रमण मुक्त कार उसे और ज्यादा आकर्षक तथा सुविधाजनक बनाया जा सकता था लेकिन इसमें स्थानीय राजनीति आड़े आजाती ह।  तानसेन समाधि कि सामने अतिक्रमण कर बनाये गए बाजार इस स्थल की भव्यता पर बदनुमा दाग जैसे हैं। ग्वालियर के संगीत  विश्व विद्यालय का नाम तानसेन को समर्पित  किया जा सकता था ,लेकिन ऐसा करता कौन ।  संगीत विश्व विद्यालय तो पहले से राजपरिवारों के नाम चढ़ाया जा चुका है। बहरहाल तानसेन समारोह आपके लिए कल भी एक सुखद घटना थी और आज भी है ,शायद कल भी रहे।
@ राकेश अचल
  

लालू-तेजस्वी दतिया आये, मां पीतांबरा की पूजा अर्चना की

ग्वालियर। राजद प्रमुख लालू यादव और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव रविवार दोपहर अचानक दतिया आये। दतिया एयरपोर्ट पर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह ने पुष्पगुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। इसके बाद लालू, तेजस्वी ने मां पीतांबरा की विधि विधान से पूजा अर्चना की। 

इंदौर से मनमाड महाराष्ट्र के बीच नई रेल लाइन बिछाने का काम शुरू

प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर में हुआ कैरियर जागरुकता का आयोजन

 

ग्वालियर / प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर के एच.आर. सी.एस. मार्केटिंग फामा क्लब के द्वारा दो दिवसीय कैरियर जागरुकता का आयोजन संस्थान के प्रांगण में किया गया।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य संस्थान के छात्र-छात्राओं को विभिन्न कैरियर विकल्पों उनके लाभ आवश्यक योग्यता और संभावनाओं के बारे में जागरुक करना रहा।
संस्थान के निदेशक डाॅ. निशांत जोशी ने बताया कि हमारा संस्थान समय-समय पर हमारे संस्थान के छात्र एवं छात्राओं के सर्वांगीण विकास के लिए इस तरह के कार्यक्रम कराता रहता है जिसमें सभी छात्र एवं छात्राओं को रोजगार कौशल विकसित करने में मदद कैसे मिल सकती है सिखाया जाता है।
संस्था की सह निदेशिका डाॅ. तारिका सिंह सिकरवार ने बताया कि आज के समय में इन्टरनेट के माध्यम से हम सही और गलत का चुनाव कर सकते है कि किस क्षेत्र में अपने कैरियर को संवारा जा सकता है लेकिन सभी छात्र एवं छात्राओं को अपनी तकनीक पर भी काम करना होगा जिससे वो अपनी जिन्दगी में सफल हो सके और अपने आप को समृद्ध कर सके।
कार्यक्रम के रिसोर्स पर्सन मि. जय प्रकाश गुप्ता टाइम्स, डायरेक्टर, ग्वालियर ने बताया कि आज के समय में अपने कैरियर को बनाने के लिए बहुत से अवसर है लेकिन अवसर तभी मिलता है जब हम पूरी तरह से सक्षम होते है उन्होंने यह भी बताया कि मैनेजमेंट के छात्र एवं छात्राऐं अपने कैरियर को एच.आर. फाइनेंस मार्केटिंग आदि में बना सकते है उन्होंने छात्र एवं छात्राओं को मोटीवेट भी किया इस कार्यक्रम के दौरान संस्थान में पढ़ने वाले बी.बी.ए., बी.काॅम., बी.सी.ए. कोर्स के करीब 450 से ज्यादा छात्र एवं छात्राओ ने हिस्सा लिया।
इस कार्यक्रम के समन्वयक डाॅ. निश्चय उपमन्यु तथा सह-समन्वयक मि. विभव शंकर श्रीवास्तव रहे तथा कार्यक्रम के दौरान संस्थान के अन्य फैकल्टी मेम्बर भी मौजूद रहे।

अपराधों पर रोक लगाने के लिए पुलिस बदमाशों की तैयार कर रही हैं कुंडलीः पुलिस कप्तान

 

ग्वालियर। अपराधों पर रोक लगाने के लिए पुलिस बदमाशों की कुंडली तैयार कर रही है, जिससे जो बदमाश जिस लायक है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके, साथ ही होने वाली घटनाओं को रोका जा सके। यह निर्देश पुलिस कप्तान धर्मवीर सिंह ने सभी थाना प्रभारियों को दिए हैं, इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी एएसपी और सीएसपी पर रहेगी, जिससे एक भी बदमाश लिस्ट से बच ना सकें। 

पुलिस कप्तान धर्मवीर सिंह ने बताया कि बीट प्रभारी से लेकर थाना प्रभारी को लिस्ट देनी है, जिसमें हर बदमाश की पूरी कुंडली बनानी है, जिसमें बदमाश द्वारा अभी तक कितने अपराध हैं और किस-किस धारा में हैं। वर्तमान में बदमाश क्या कर रहा है और उसका खर्चा किन स्रोत से चल रहा है। बदमाश का वारदात का तरीका क्या है, जिससे जिले में उस तरह की घटना होने पर उनसे पूछताछ की जा सकें। थाना प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश हैं कि थाने की हर बीट से कम से कम पांच नाम देने हैं, जिनकी संख्या बढ़ सकती है, लेकिन कम नहीं होनी चाहिए, जिससे एक भी बदमाश इसके दायरे में आने से बचने ना पाए। 

लिस्ट में शामिल बदमाशों की लिस्ट बनते ही उनकी थाने में हाजिरी परेड होगी और उनसे पूछताछ कर पता लगाया जाएगा, कि उनका खर्चा चलाने का क्या स्रोत है, ताकि पता चल सके कि अब वह वारदातों को अंजाम तो नहीं दे रहे हैं। इन बदमाशों पर बराबर नजर रखी जाएगी, इनकी निगरानी के लिए पुलिस जवान और प्रधान आरक्षक हर दिन उनके पास जाकर फिजीकली चेक करेंगे। जिससे यह दूसरे शहरों में वारदात ना कर पाएं। गुण्डों की कुंडली बनने के बाद पुलिस अफसर इनके खिलाफ कार्रवाई कराएंगे, जिसमें जिस स्तर का बदमाश होगा, उसकी जिलाबदर, एनएसए तथा अन्य कार्रवाई होगी। 


ग्वालियर में नगर निगम करेगा 400 कर्मचारियों की भर्ती, तैयारी शुरु

ग्वालियर / स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के लिए होने वाले सर्वे को देखते हुए नगर निगम में 400 कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा जाएगा। इसकी तैयारी नगर निगम ने शुरू कर दी है और इसका प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। यह कर्मचारी सफाई के साथ विद्युतए राजस्वए संपत्तिकरए जलकरए मदाखलतए जनकल्याण सहित अन्य विभागों में भी रखे जाएंगे। 900 कर्मचारियों की थी प्लानिंगपूर्व में 900 कर्मचारियों को रखने की प्लानिंग की जा रही थीए लेकिन सामान्य प्रशासन के नियमों के चलते इसकी संख्या अब 400 ही रहेगी। यह सभी कर्मचारी आउटसोर्स पर ही रखे जाएंगे। निगमायुक्त ने बताया कि स्वच्छता सर्वे के साथ ही अन्य विभागों में भी कर्मचारियों की कमी हैए इसलिए 400 कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा हैए जिसे एमआईसी में भेजा जाएगा और एमआईसी से स्वीकृति मिलने के साथ ही यदि जरूरत हुई तो निगम परिषद में भी प्रस्ताव को भेजा जाएगा। दोनों की स्वीकृति मिलने के बाद ही आउटसोर्स पर कर्मचारियों को रखने की प्रक्रिया नियम अनुसार शुरू की जाएगी।स्टाफ की कमी से जूझ रहा है निगमनगर निगम ग्वालियर में स्टाफ की काफी कमी है और कई विभाग ऐसे हैंए जहां पर कर्मचारियों की कमी है। ऐसे में जरूरत के हिसाब से ही कर्मचारियों को पदस्थ किया जाएगाए जिससे निगम के कार्य सुचारू रूप से चलते रहें। निगम में कर्मचारियों की कमी है। हम 400 कर्मचारियों की भर्ती का प्लान तैयार कर रहे हैं। जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर एमआईसी की ओर भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही आउटसोर्स पर कर्मचारियों को रखा जाएगा।. अमन वैष्णव आयुक्त नगर निगम कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखा जाएगा। इसकी तैयारी नगर निगम ने शुरू कर दी है और इसका प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है। यह कर्मचारी सफाई के साथ विद्युतए राजस्वए संपत्तिकरए जलकरए मदाखलतए जनकल्याण सहित अन्य विभागों में भी रखे जाएंगे। 900 कर्मचारियों की थी प्लानिंगपूर्व में 900 कर्मचारियों को रखने की प्लानिंग की जा रही थीए लेकिन सामान्य प्रशासन के नियमों के चलते इसकी संख्या अब 400 ही रहेगी। यह सभी कर्मचारी आउटसोर्स पर ही रखे जाएंगे। निगमायुक्त ने बताया कि स्वच्छता सर्वे के साथ ही अन्य विभागों में भी कर्मचारियों की कमी हैए इसलिए 400 कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा हैए जिसे एमआईसी में भेजा जाएगा और एमआईसी से स्वीकृति मिलने के साथ ही यदि जरूरत हुई तो निगम परिषद में भी प्रस्ताव को भेजा जाएगा। दोनों की स्वीकृति मिलने के बाद ही आउटसोर्स पर कर्मचारियों को रखने की प्रक्रिया नियम अनुसार शुरू की जाएगी।स्टाफ की कमी से जूझ रहा है निगमनगर निगम ग्वालियर में स्टाफ की काफी कमी है और कई विभाग ऐसे हैंए जहां पर कर्मचारियों की कमी है। ऐसे में जरूरत के हिसाब से ही कर्मचारियों को पदस्थ किया जाएगा I  जिससे निगम के कार्य सुचारू रूप से चलते रहें। 

हम 400 कर्मचारियों की भर्ती का प्लान तैयार कर रहे हैं। जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर एमआईसी की ओर भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही आउटसोर्स पर कर्मचारियों को रखा जाएगा।. अमन वैष्णव आयुक्त नगर निगम

सामंतशाही आज भी हावी, गांव में पहली बार पुलिस की मौजूदगी में निकली दलित दूल्हे की राछ

 टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार 

टीकमगढ़। देश स्वतंत्रता के 77 वर्ष बीत जाने के बाद भी टीकमगढ़ जिले में सामंतशाही बरकरार देखी गई, जिले के बल्देवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत हटा गांव में पहली बार पुलिस की मौजूदगी में गाजे बाजे के साथ दलित बेटे की घोड़ी पर बैठकर राछ निकली गई। जब दलित परिवार ने शादी में राछ निकालने के लिए घोड़ा बुक किया  दो दिन बाद घोड़े वाले ने घोड़े बुकिंग का एडवांस बापिस कर दिया जिससे आशंकित होकर दलित परिवार ने शादी के पहले पुलिस  की मदद मांगी थी।

रविवार को पुलिस की मौजूदगी में  गाजे बाजे के साथ गांव में राछ निकली गई और शादी का आनंद लिया गया। ग्रामीणों की माने तो बल्देवगढ़ थाना क्षेत्र के लगभग एक दर्जन ग्रामों में आज भी यह व्यवस्था हावी है,यहां आज भी कही कही सामंत शाही और जातिवाद की बू आती है। जो टीकमगढ़ जिले के लिए ही नहीं स्वतंत्र भारत देश के लिए दुर्भाग्य की बात है।

मानव अधिकार प्रोटेक्शन का जन जागरूकता अभियान प्रारंभ


सड़क हादसों में कमी लाने के लिए पशुओं के सींगों पर लगाए रेडियम 

ग्वालियर। मानव अधिकार प्रोटेक्शन का जन जागरूकता अभियान प्रारंभ हो गया है इसके पहले चरण में सड़क पर हो रहे हादसों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है इसी रविवार की शाम पशुओं के सीगों पर रेडियम लगाया गया है जिससे कि रात्रि के समय वाहन चालक को यह पशु आसानी से नजर आ जाए।

यह अभियान प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र झा के निर्देश पर एवं संरक्षक ज्योतिषाचार्य डॉ  हुकुमचंद जैन, उपाध्यक्ष विनय जैन सुलभ श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में कार्यक्रम प्रभारी अजय पेमदे व सहप्रभारी केशव सिसोदिया के द्वारा आयोजित किया गया है आगे के क्रम में शासकीय अस्पताल में जाकर मानव अधिकार प्रोटेक्शन की टीम निरीक्षण करेगी और जरूरतमंद मरीजों और उनके अटेंडरों की जो भी संभव मदद होगी वह की जाएगी।

भोपाल को झुग्गी मुक्त बनाने के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित

 


ग्वालियर l   शहर को झुग्गी मुक्त बनाने की दिशा में अहम कदम उठाते हुए आज कलेक्टर श्री कौशलेन्द्र विक्रम सिंह की अध्यक्षता में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में स्लम रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के तहत नागरिकों को पक्के मकान उपलब्ध कराने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की गईं। नगर निगम ने भोपाल जिले की झुग्गियों का चिन्हांकन करने और सर्वेक्षण कार्य के लिए जिले को 9 कलस्टरों में विभाजित करने की योजना बनाई है। प्रथम चरण में वल्लभ भवन के आसपास की झुग्गियों का सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है। इन झुग्गियों के निवासियों को पीपीपी मॉडल के तहत पक्के मकान प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही सुराज अभियान और रिडेंसीफिकेशन नीति के तहत आवासीय परियोजनाओं में मॉल, कमर्शियल कॉम्पलेक्स और प्राइम डेवलेपमेंट कार्य भी किए जाएंगे।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रथम चरण में निर्माण कार्य की कार्यवाही शीघ्र प्रारंभ की जाये। इसके लिए डीपीआर, डिजाइन, प्लानिंग पॉलिसी, एस्टीमेट और टेंडर की शर्ते एवं सभी तैयारियां एक सप्ताह के भीतर पूरी की जाएंगी। झुग्गियों के चिन्हांकन और सर्वेक्षण कार्य प्राथमिकता के आधार पर शुरू कर दिया गया है।

कलेक्टर ने नगर निगम आयुक्त श्री हरेन्द्र नारायण, सभी एसडीएम को निर्देश दिए कि भोपाल जिले को स्लम फ्री बनाने के लिए विस्तृत योजना तैयार करें और तेजी से कार्यवाही करें। नगर निगम को एक सप्ताह के भीतर टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर साधिकार समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए। इस अवसर पर सभी एसडीएम, नगरीय प्रशासन के इंजीनियर और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

ग्वालियर डिविजन म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन ने 12वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया

  


 ग्वालियर /  हाल ही में शहर की रजिस्टर्ड संस्था ग्वालियर डिविजन म्युचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन ने अपना 12वां स्थापना दिवस एक होटल में धूमधाम से मनाया I 

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एक्सिस म्युचुअल फंड की सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर श्रीमती शिखा वगैरिया थी जो मुंबई से आई थी 

संस्था के अध्यक्ष श्री मनोज शर्मा संयुक्त अध्यक्ष अनुराग श्रीवास्तव संरक्षक केके गुप्ता कोषाध्यक्ष मुकेश गुप्ता एवं सचिव नितिन सिंघल मंचासीन रहे कार्यक्रम का संचालन संयुक्त अध्यक्ष अनुराग श्रीवास्तव ने किया I 


मुख्य अतिथि का स्वागत अध्यक्ष मनोज शर्मा एवं सह सचिव लीना सिंघल ने किया I 

कार्यक्रम में गीत संगीत एवं मनोरंजक खेल के साथ-साथ संस्था के सदस्यों की विशिष्ट उपलब्धि पर उन्हें अवार्ड देकर सम्मानित किया गया 

पिछले कुछ माह में संस्था से जुड़े नए सदस्यों का भी सम्मान किया गया 

कार्यक्रम में म्युचुअल फंड कंपनियों के उच्च अधिकारी सम्मिलित हुए जो विभिन्न शहरों से आए थे जिन्हें संस्था द्वारा पुष्प हार पहना कर एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया अंत में आभार प्रदर्शन आदित्य गंगवाल द्वारा किया गया I 

इस अवसर पर धनराज दर्रा प्रदीप जैन अनिल कुमार गुप्ता नितिन सिंघल संजय सेंगर संजय अरोड़ा निलेश गुप्ता राकेश कुमार सिंघल आदि उपस्थित रहे I 

ज्ञातव्य हो कि उक्त संस्था म्युचुअल फंड निवेशकों एवं डिस्ट्रीब्यूटर्स के हितों की रक्षा के लिए तथा निवेश संबंधी जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 12 साल पहले बनाई गई थी I

सामूहिक कन्या विवाह में एक साथ 11 जोड़ों ने थामा एक दूसरे का हाथ,बंधे विवाह बंधन में

  टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार 

टीकमगढ़। शहर के उत्सव भवन में नारी शक्ति टीकमगढ़ के अथक प्रयासों से सामूहिक कन्या विवाह का आयोजन किया गया जिसमें एक साथ अलग-अलग जगह से आए 11 बर वधू जोड़ों ने एक दूसरे का हाथ थाम कर विवाह बंधन की रस्में अदा की। बर बधू के 11 जोड़ों में एक विकलांग (ग्यासी प्रियंका) जोड़े ने अपने दांपत्य जीवन में प्रवेश किया। नारी शक्ति समिति की अध्यक्षता रुचि राजा परमार ने जानकारी देते हुए बताया नारी शक्ति टीकमगढ़ समिति का यह द्वितीय आयोजन है प्रथम वर्ष में नारी शक्ति टीकमगढ़ इकाई द्वारा पांच जोड़ों को विवाह बंधन में शामिल कर पूरी रीती रिवाज के साथ विदा किया था उसी क्रम को आगे बढ़ते हुए इस वर्ष भी ग्यारह जोड़ों को दांपत्य जीवन में जोड़ने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ समिति के सभी सदस्यों के साथ शहर के गणमान्य नागरिकों का भरपूर सहयोग रहा  जिस वजह से इस आयोजन को सफल बनाने में सफलता हासिल की है, सभी जोड़ों को पूरे हिंदू रीति रिवाज की रस्में कराई गई साथ ही गाजे बाजे के साथ बारात का भाव स्वागत किया गया बर बधू के जोड़ों के साथ आए घर आई और रिश्तेदारों का भी स्वागत किया गया साथ ही शुभ विवाह में बधू को गहने एवं विवाह संबंधी उपहार भेंट कर नवीन जोड़ों को विदा किया गया।

खुशियों की दास्तां : इस बार की दीपावली मैंने बड़े स्वाभिमान के साथ मनाई


ग्वालियर : इस बार की दीपावली मैंने बड़े स्वाभिमान के साथ मनाई है। चाहे घर की सजावट का सामान खरीदना हो या फिर खुद के लिये कपड़े। इसके लिये मुझे किसी के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़े। मेरे खाते में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के तहत हर माह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा पहुँचाई गई धनराशि जमा थी, जिससे हमने हर्षोल्लास के साथ दीपोत्सव मनाया। 

यह कहना है ग्वालियर शहर के वार्ड-28 की निवासी श्रीमती अनीता बनर्जी का । अनीता शनिवार को कलेक्ट्रेट में लाड़ली बहना योजना की राशि अंतरण के उपलक्ष्य में आयोजित हुए जिला स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेने पहुँची थीं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब इंदौर से सिंगल क्लिक के जरिए प्रदेश भर की लाड़ली बहनों के खातों में धनराशि अंतरित की तो अनीता की खुशी देखते ही बनी। 

अनीता बनर्जी बताती है कि जबसे मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना शुरू हुई है तब से मेरे जीवन में खुशियों ने नई दस्तक दी है। मेरे खाते मे हर माह 1250 रूपये की राशि प्राप्त होने लगी है। यह राशि पाकर मैं अपने परिवार की छोटी-मोटी जरूरतो को पूरा कर पाती हूँ। अनीता बोलीं कि हमारे मुख्यमंत्री मोहन भैया प्रदेश भर की हम जैसी बहनाओं का पूरा ख्याल रख रहे हैं। 

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राज्य स्तरीय कराते प्रतियोगिता में करेगे शिरकत खिलाड़ी

ग्वालियर  । मध्यप्रदेश स्पोर्ट्स कराते एसोसिएशन द्वारा 16 एवं 17 मई को इन्दौर में आयोजित राज्य स्तरीय कराते प्रतियोगिता में भाग लेने जिले का...