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शनिवार, 2 अगस्त 2025

बिहार चुनाव से पहले नया धनकड चुनने की मजबूरी

बिहार विधानसभा चुनाव में हार का डर सत्तारूढ दल को इतना ज्यादा सता  रहा है कि केंद्र ने नये उपराष्ट्रपति  का चुनाव बिहार विधानसभा से पहले कराने का निर्णय ले लिया गया है.चुनाव आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को होंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना 7 अगस्त को जारी की जाएगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त होगी। नतीजे मतदान के दिन  9 सितंबर को ही घोषित हो जाए. याद होगा कि जगदीप धनखड़ के 22 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद यह पद रिक्त है.

मेरी जानकारी के मुताबिक भारत में उपराष्ट्रपति का पद अधिकतम छह महीने तक रिक्त रह सकता है। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद रिक्त होने की स्थिति में, जैसे कि इस्तीफा, निधन, या अन्य कारणों से, नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए छह महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक है। इस दौरान, राष्ट्रपति या कोई अन्य निर्धारित व्यक्ति उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन कर सकता है.

सरकार अगर चाहती तो उपराष्ट्रपति का चुनाव नये साल में भी हो सकते थे लेकिन सरकार ये चुनाव बिहार विधानसभा चुनाव से पहले करा लेना चाहती है ताकि चुनाव का गणित न बिगडे. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जो सूचनाएं सरकार के पास हैं वे चिंता पैदा करने वाली हैं.हालांकि एक राज्य के विधायकों की संख्या में हेर फेर का उपराष्ट्रपति चुनाव पर कोई ज्यादा असर नहीं पडता लेकिन यदि हवा उलटी चल पडे तो उसे रोकना य अनुकूल बनाना कठिन तो हो ही जाता है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव कराता है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य और लोकसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम की बात करें तो 1974 के नियम 40 के अनुपालन में निर्वाचन आयोग को इस निर्वाचक मंडल के सदस्यों की एक अद्यतन सूची, उनके नवीनतम पते सहित, तैयार करने और बनाए रखने का अधिकार है।

इससे पहले चुनाव आयोग ने बताया था कि उसने उप राष्ट्रपति चुनाव, 2025 के लिए निर्वाचक मंडल की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। इन सदस्यों को एक सतत क्रम में सूचीबद्ध किया गया है। सभी सदस्यों को वर्णमाला क्रम में उनके संबंधित सदनों के राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के आधार पर व्यवस्थित किया गया है।

इससे पहले धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके कार्यकाल की समाप्ति में अभी दो साल से ज्यादा का समय बाकी था। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दिया था.धनखड़ के इस्तीफे के दो दिन बाद ही चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, धनखड़ ने अपने पांच साल के कार्यकाल के केवल दो साल के भीतर इस्तीफा दिया, फिर भी उनके उत्तराधिकारी को पूरा पांच साल का कार्यकाल मिलेगा, न कि शेष बचा है

आगामी चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को स्पष्ट बढ़त हासिल है। 543 सदस्यीय लोकसभा में पश्चिम बंगाल के बशीरहाट की एक सीट रिक्त है, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच रिक्तियां हैं। राज्यसभा की पांच रिक्तियों में से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है। पंजाब की यह सीट पिछले महीने हुए उपचुनाव में राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। दोनों सदनों की प्रभावी सदस्य संख्या 782 है और जीतने वाले उम्मीदवार को 391 मतों की आवश्यकता होगी, बशर्ते सभी पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करें।

लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को 542 सदस्यों में से 293 का समर्थन प्राप्त है। सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा में 129 सदस्यों (प्रभावी सदस्य संख्या 240) का समर्थन प्राप्त है, बशर्ते कि मनोनीत सदस्य राजग उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करें। सत्तारूढ़ गठबंधन को कुल 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 66 (1) में प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होगा तथा ऐसे चुनाव में मतदान गुप्त मतदान द्वारा होगा। इस प्रणाली में मतदाता को उम्मीदवारों के नाम के सामने अपनी प्राथमिकताएं अंकित करनी होती है.

मजे की बात है कि धनकड का इस्तीफा अभी भी रहस्यपूर्ण बना हुआ है. सरकार आननन फानन में उपराष्ट्रपति के पद पर संघ का कोई  नया प्रचारक बैठाकर संगठन और संघ में मोशा की जोडी को लेकर पनप रहे असंतोष को कम करना चाहती है. सितंबर का महीना वैसे भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत को वानप्रस्थी बना रहा है. दोनों सितंबर में ही 75 साल के हो जाएंगे. संघ ने परोक्ष रुप से मोदी पर पद छोडने के लिए दबाब बनाया है लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो पाएगा. बहरहाल सितंबर का महीना भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण तो बन ही गया है.

@राकेश अचल

मंगलवार, 29 जुलाई 2025

हे ! अजगर तुम खुशनसीब हो

 


क्योंकि तुमने 

किसी की चाकरी नहीं की

हे! पंछी 

तुम खुशकिस्मत हो जो तुमने 

कोई काम नहीं किया 

बदनसीब तो हम हैं

जिन्हें चाकरी मिली लेकिन 

काम नहीं मिला 

हम सुनते थे 

मलूक दास की वाणी 

और भरोसा कर बैठे कि

सबके दाता राम होते हैं

हमारी धारणा. हमारा यकीन 

गलत था

अब अजगर तो छोडिए 

केंचुआ तक चाकरी करता है 

सत्ता प्रतिष्ठान की

मतदाता सूची से नाम काट देता है

और कुछ नहीं कर पाता निषाद

ठगी सी रह जाती है जानकी.

अजगर! तुम खुशनसीब थे

खुशनसीब हो.

***

@ राकेश अचल

शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

बौद्ध देशों के बीच जंग क्योंकि धर्म से बडी है संप्रभुता

दुनिया के प्रमुख बौद्ध धर्मावलंबी देश थाइलेंड और कंबोडिया के बीच जंग की खबरों से मै हतप्रभ हूँ और ये  जानने में लगा हूँ कि मजहब और संप्रभुता में महत्वपूर्ण मजहब है या जंग? उत्तर मिलता है संप्रभुता, मजहब से बडी चीज है. यदि आप संप्रभु नहीं हैं तो भी समानधर्मी होने का कोई मोल नहीं है.थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव चरम पर हैं। अब थाईलैंड ने कंबोडिया पर F-16 फाइटर जेट के जरिए बमबारी की है।  रॉयटर्स ने थाईलैंड आर्मी के हवाले से बताया कि थाईलैंड – कंबोडिया की सीमा पर थाईलैंड द्वारा तैनात किए गए छह F-16 फायटर जेट्स में से एक ने गुरुवार को कंबोडिया पर बम गिराए और एक मिलिट्री टारगेट को नष्ट कर दिया।

संयोग से मै अपनी यायावरी प्रवृति के चलते थाईलेंड भी गया हूं और कंबोडिया भी. दोनों देशों में बुद्ध विराजमान हैं लेकिन एक देश भुखमरी का शिकार है तो एक देश में जिस्मफरोशी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. फिर भी दोनों देश अपने -अपने देश की संप्रभुता के लिए जंग से नहीं हिचके.

गुरुवार सुबह इन दोनों ही बौद्ध देशों ने एक-दूसरे पर हमला करने के आरोप लगाए। थाईलैंड आर्मी की डिप्टी स्पोक्स पर्सन ऋचा सुक्सुवानोन ने बताया कि उन्होंने योजना के मुताबिक मिलिट्री टारगेट्स के खिलाफ हवाई ताकत का इस्तेमाल किया है।जबकि कंबोडिया की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि थाईलैंड के विमानों ने सड़क पर बम गिराए। उन्होंने कहा कि वे “कंबोडिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध थाईलैंड के लापरवाह और क्रूर सैन्य आक्रमण की कड़ी निंदा करते हैं।”

आपको बता दें कि कंबोडिया की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है, जो मुख्य रूप से कृषि, विनिर्माण (विशेषकर कपड़ा), पर्यटन और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर निर्भर है। 2023 के आंकड़ों के आधार पर, कंबोडिया की जीडीपी लगभग 31.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, और यह निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत है। 

गरीबी और असमानता: हालांकि गरीबी दर में कमी आई है, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गरीबी और बुनियादी ढांचे की कमी एक चुनौती है।

 यहां की अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजारों (विशेषकर कपड़ा निर्यात) और विदेशी निवेश पर बहुत अधिक निर्भर है। भ्रष्टाचार, सीमित कानूनी सुधार और कुशल श्रम की कमी विकास में बाधा डालती है.वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे कृषि और पर्यटन को प्रभावित कर सकते हैं।यहाँ आज भी लोगों के पास भरपेट अन्न नहीं है. लोग कीडे मकोडों को खाने पर मजबूर हैं किंतु देश की संप्रभुता पर हमला किसी को बर्दास्त नहीं है.

थाईलैंड और कंबोडिया अपनी 817 किलोमीटर लंबी बॉर्डर साझा करते हैं. एक शताब्दी  से भी अधिक समय से दोनों देश अपनी सीमा पर अचिन्हित क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर संघर्षरत हैं। इस वजह से कई वर्षों से झड़पें हो रही हैं और इन झड़पों में कम से कम एक दर्जन मौतें हो चुकी हैं। इनमें साल 2011 में एक हफ्ते तक चली आर्टिलरी फायरिंग भी शामिल है। इस साल मई में विवाद तब फिर से बढ़ गया, जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच फायरिंग हुई और कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई। इस वजह से राजनयिक संकट भी पैदा हो गया।लेकिन भगवान बुद्ध का दर्शन यहाँ काम नहीं आ रहा.

ताजा स्थिति ये है कि दोनों बौद्ध देशों के बीच तनाव तब और ज्यादा गहरा गया, जब थाईलैंड ने कंंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया और कहा कि वो कंबोडिया के राजदूत को वापस भेज देंगे। इससे पहले थाईलैंड ने कंबोडिया पर आरोप लगाया कि उसने विवाद वाले इलाके में लैंड माइन बिछाई हुई हैं, जिससे एक हफ्ते के भीतर दूसरे थाई सैनिक ने अपने अंंग खो दिए। थाईलैंड का कहना है कि कंबोडिया से टकराव में उसके नौ नागरिकों मारे जा चुके हैं। कंबोडिया का कहना है कि जिन लैंड माइन्स की बात थाईलैंड कर रहा है, वो दशकों पर सिविल वार के समय की हैं। हालांकि थाईलैंड मानता है कि सीमावर्ती एरिया में ये लैंडमाइन हाल में बिछाए गए हैं।

अब आपको बता दें कि थाईलेंड  में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय में बड़ा अंतर है।हाल के दशकों में राजनीतिक उथल-पुथल ने निवेश और विकास को प्रभावित किया है।थाईलैंड की जनसंख्या तेजी से वृद्ध हो रही है, जिससे श्रम बल और सामाजिक कल्याण पर दबाव बढ़ रहा है।

हालांकि थाईलैंड दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातकों में से एक है। रबर, गन्ना, और कैसावा भी महत्वपूर्ण हैं। कृषि में लगभग 30  प्रतिशत कार्यबल  है, लेकिन यह जीडीपी में केवल 8-10प्रतिशत योगदान देता है।थाईलैंड "एशिया का डेट्रॉयट" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह टोयोटा, होंडा जैसे ब्रांडों के लिए प्रमुख ऑटोमोबाइल उत्पादन केंद्र है।पर्यटन थाईलैंड की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है, जो जीडीपी में 12-15 प्रतिशत योगदान देता है। बैंकॉक, फुकेत,  चियांग माई जैसे पर्यटन स्थल  पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

ये एक कडवी हकीकत है कि चाहे इस्लामिक देश हों चाहे ईसाइयत को मानने वाले देश. चाहे बौद्ध धर्म को मानने वाले देश हों चाहे हिंदू धर्म को मानने वाले देश. संप्रभुता पर संकट आते ही एक-दूसरे के दुश्मन हो जाते हैं. मुझे उम्मीद है कि अंकोरवाट में विराजे भगवान विष्णु तथा और कंबोडिया में विराजे भगवान बुद्ध इस युद्ध को लंबा नहीं चलने देंगे. दोनों को बुद्ध की शरण में ही शांति मिलेगी अन्यथा हथियारों के सौदागर तो दुनिया में कहीं भी शांति चाहते ही कहाँ हैं.

@ राकेश अचल 


बुधवार, 23 जुलाई 2025

मोदी के धर्म दामाद से खफा हैं भाजपा के मुन्नाभाई

 

भाजपा कब किसे ' धनकड गति ' प्रदान कर दे, कहना कठिन है, लेकिन मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर यानि हम सबके मुन्नाभाई किसी से नहीं डरते. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से भी नहीं, इसीलिए शायद उन्होने मोदी जी के धर्म दामाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुलकर निशाने पर ले लिया है. सिंधिया ग्वालियर -चंबल अंचल में भाजपा के एक घोषित, अघोषित छत्रप माने जाते हैं.यहां तक कि ग्वालियर-श्योपुर ब्रडगेज लाइन का श्रेय लूटने के लिए सिंधिया और तोमर में खुला मुकाबला हुआ, और सिंधिया ने तोमर और तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा के खिलाफ रेलवे सुरक्षा पुलिस थाने में मुकदमा तक दर्ज करा दिया था. दोनों नेता बामुश्किल इस मामले से बरी हो पाए थे.

दर असल विधानसभा अध्यक्ष  तोमर जब मोदी सरकार में मंत्री थे तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे. भाजपा ने 2019 के आम चुनाव में सिंधिया को घेरकर गुना से हराकर 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय का बदला ले लिया था. सिंधिया के चुनाव हारते ही मुन्नाभाई यानि नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर-चंबल अंचल में एकछत्र वर्चस्व कायम कर लिया था, लेकिन उनका दरबार ज्यादा दिन नहीं चल पाया. 2020 में सिंधिया कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का तख्त पलटकर भाजपा में शामिल हो गये और उन्होने बिना चुनाव लडे मप्र में भाजपा की सरकार बनवा दी.

सिंधिया के भाजपा में आते ही पार्टी ने न सिर्फ ज्योतिरादित्य को राज्यसभा भेजा बल्कि उन्हें केंद्र में मंत्री भी बना दिया. केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए किसान आंदोलन के चलते मोदी सरकार की जो किरकिरी हुई उसके चलते मुन्नाभाई यानि नरेंद्र सिंह तोमर के नंबर अचानक कम हो गए. 2024 के आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को तो अपने मंत्रिमंडल में रखा लेकिन मुन्ना भाई को आम चुनाव से पहले ही वापस मप्र भेजकर विधानसभा चुनाव लडने पर मजबूर कर दिया. मप्र में भाजपा सरकार बनने के बाद भाजपा हाईकमान ने मुन्नाभाई को मुख्यमंत्री न बनाते हुए विधानसभा अध्यक्ष बनाकर एक और झटका दे दिया.

प्रधानमंत्री मोदी के खुले समर्थन के बाद ग्वालियर-चंबल में हुए तमाम विकास कार्यों का श्रेय अकेले सिंधिया ने लूट लिया. मुन्नाभाई के समर्थक मुरैना और ग्वालियर के सांसद ताकते रह गये. प्रधानमंत्री ने सिंधिया के आमंत्रण पर दो बार ग्वालियर आकर सिंधिया को सार्वजनिक रूप से अपना यानि गुजरात का दामाद बताकर सिंधिया का वजन और बढा दिया. लगातार उपेक्षा से मुन्ना भाई यानि विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के सब्र का बांध पहले रिसा और फिर अचानक फूट पडा.

पिछले दिनों अपने निर्वाचन क्षेत्र दिमनी में एक सरकारी कार्यक्रम में मुन्नाभाई ने सिंधिया का नाम लिए बिना कहा कि जो लोग हर योजना का श्रेय लूटकर मै.. मै करते फिरते हैं उन्हे शायद नहीं पता कि अंचल में जो भी विकास हो रहा है वो भाजपा सरकार बनने की वजह से हो रहा है, वरना जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी तब  मै.. मै करने वालों ने क्या कर लिया? तोमर का इशारा ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर था.

दरअसल मप्र भाजपा में सिंधिया और तोमर के बीच वर्चस्व की लडाई पुरानी है.तोमर मूलत: संघ का उत्पाद हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के संरक्षण में पले, बढे. सिंधिया के केंद्र में रहते हुए 2014 से पहले तक केंद्रीय मंत्री के रूप में सिंधिया तोमर पर हावी रहे किंतु 2014में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही नरेंद्र तोमर की किस्मत खुल गई और उन्होने सिंधिया का दरबार उजाडने की हर संभव कोशिश की, लेकिन सिंधिया अपमान का घूंट चुचाप पीते रहे. सिंधिया ने पूरे छह साल सब्र किया और फिर खुद भाजपा में शामिल होकर नरेंद्र तोमर को उनकी हैसियत दिखा दी.

सिंधिया का आभा मंडल केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड और खुद मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सिंधिया के जयविलास पैलेस का आतिथ्य स्वीकार कर और बढा दिया. तोमर मन मसोस कर रह गये. एक जमाने में  जयभान सिंह पवैया जो भाजपा नेता मुन्नाभाई के साथ हुआ करते थे और सिंधिया के मुखर विरोधी माने जाते थे वे सब अब सिंधिया के साथ खडे हो गये हैं. मुन्नाभाई के साथ अंचल के दो सांसद होने के बावजूद वे सिंधिया के आभामंडल के सामने टिक नहीं पा रहे हैं.

मजे की बात ये है कि सिंधिया और तोमर की  अदावत जगजाहिर है लेकिन सिंधिया भाजपा में आकर पांच साल में इतने मजबूत हो गए हैं कि नरेंद्र सिंह तोमर यानि मुन्नाभाई को घबडाहट होने लगी है. अब देखना ये है कि  सिंधिया पर परोक्ष रूप से विधानसभा अथ्यक्ष द्वारा किए गये हमले को प्रदेश और देश के भाजपा सुप्रीमों किस ढंग से लेते हैं. आशंका तो ये जताई जा रही है कि विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर ने घबडाकर सिंधिया को निशाना बनाकर अपने ही पांवों पर कुल्हाडी मार ली है. अब सबकी नजर दिल्ली और भोपाल  पर लगी है. तोमर को अपने वजूद से ज्यादा अपने बेटे को स्थापित करने की फिक्र में हैं. सिंधिया के सामने भी अपनी आंखों के सामने अपने बेटे को स्थापित करने की चुनौती है.मजे की बात ये है कि सिंधिया विधानसभा अध्यक्ष तोमर के घर पांच साल पहले ही हाजरी लगा आए थे, लेकिन तोमर को कभी महल आते-जाते नहीं देखा.

आपको बता दें कि मुन्नाभाई 1983 में पार्षद का चुनाव लडकर राजनीति में आए जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता माधवराव सिंधिया के आकस्मिक निधन के बाद 2001 मेंसीधे लोकसभा का चुनाव लडकर सक्रिय राजनीति में आए थे.सिंधिया अभी 54 साल के हैं जबकि नरेंद्र तोमर 68 साल के हैं. तोमर की किस्मत में शायद अगला चुनाव हो न हो लेकिन सिंधिया के सामने ऐसी कोई फिक्र नहीं है.सवाल ये भी है कि क्या भाजपा मुन्नाभाई को मप्र का जगदीप धनकड तो नहीं बना देगी? क्या सिंधिया पार्टी हाईकमान से मुन्नाभाई यानि नरेंद्र सिंह तोमर की शिकायत करेंगे या बडप्पन दिखाते हुए मौन रहेंगे?

@  राकेश अचल

रविवार, 13 जुलाई 2025

बाबाओं का स्वर्ग क्यों है हिंदुस्तान?

 

दुनियां में यदि बाबाओं के लिए कोई स्वर्ग है तो वो है हिंदुस्तान. हिंदुस्तान में किसी भी उम्र, जाति या मजहब का बाबा रातों-रात करोडपति हो सकता है.यूपी एसटीएफ के इनपुट पर एटीएस के शिकंजे में आया जलालुद्दीन उर्फ झांगुर बाबा इसका एक और नया नमूना है. कहते हैं कि अब झांगुर बाबा की जांच ईडी भी करेगी। उसकी संस्थाओं के बैंक खातों में 100 करोड़ से ज्यादा का लेन-देन मिला है। कई देशों से उसके पास पैसे भेजने के सबूत मिले हैं।

ईडी मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत इस प्रकरण की जांच कर सकती है। एटीएस ने खुलासा किया था कि झांगुर बाबा ने फर्जी दस्तावेजों से 40 से अधिक संस्थाएं बना रखी थी। विदेशों से आने वाली रकम इन संस्थाओं के नाम से खोले गए खातों में ही भेजी गई थी। इन खातों से ही पता चला था कि झांगुर बाबा के इन खातों में 100 करोड़ से अधिक की रकम का लेन-देन हो चुका है।

इसके अलावा कुछ समय में ही झांगुर बाबा ने करोड़ों रुपये से कोठी, लग्जरी गाड़ियां खरीदी थी। एटीएस के एक अधिकारी के मुताबिक इस गिरोह के अन्य सदस्यों का खातों का भी ब्योरा निकलवाया जा रहा है। इस सम्बन्ध में भी एटीएस अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर ईडी को देगी। एटीएस ने अब तक मिले साक्ष्यों का ब्योरा भी ईडी को भेजने की तैयारी कर ली है।

मजे की बात ये है कि यूपी में गत 7  साल से परम हिंदूवादी योगी आदित्य नाथ की सरकार है लेकिन झांगुर बाबा की भनक योगी सरकार को तब मिली जब एसटीएफ ने मेहनत की.बलरामपुर में धर्मांतरण कराने से चर्चा में आए मुख्य आरोपी झांगुर बाबा गिरोह का अपना अलग नेटवर्क था। उसके अलावा गिरोह के 14 सदस्य अहम भूमिका में रहते थे। इनका नेटवर्क कुछ समय बाद बलरामपुर से निकल कर यूपी के कई जिलों में फैल गया था। एटीएस और एसटीएफ इन 14 फरार सदस्यों को पकड़ने में लग गई है। एसटीएफ की तीन टीमें अलग से लगाई गई है। 

एटीएस सूत्रों के मुताबिक झांगुर बाबा के गिरोह में अधिकतर सदस्य औरैया, सिद्धार्थनगर और आजमगढ़ के लोग हैं। ये लोग अक्सर मधपुर गांव में रहते थे। इस वजह से एटीएस की टीमें गांव में डेरा डाले हुए है। यह टीम ग्रामीणों से झांगुर बाबा के बारे में जानकारियां जुटाने में लगी है। ग्रामीण भी अब खुलकर इन्हें झांगुर की करतूतें बता रही है।


लोग जिस नसरीन, उसके पति व बेटी को  मुस्लिम समझते थे, वह पहले सिन्धी थे। झांगुर ने उन्हें ब्रेनवॉश कर इस्लाम धर्म कुबूल करा दिया था। नीतू ही नसरीन बनी थी। उसके पति का नाम असली नाम नवीन मोहरा है। झांगुर द्वारा छपवाई गई किताब सदर-ए-तैयबा से आस पास के जिलों में इस्लाम का प्रचार प्रसार किया जाता था। इस किताब को छपवाने के लिए भी विदेशों से फंडिंग की गई थी।

बाबा चाहे झांगुर हो या झींगुर इससे कोई फर्क नहीं पडता. बाबाओं का काम भोले -भाले लोगों का ब्रेनवाश कर अपना उल्लू सीधा करना होता है. आज भी देश की जेलों में राम रहीम, आसाराम जैसे तमाम झांगुर, झींगुर भरे पडे हैं. जो जेल में नहीं गये हैं वे राजनीतिक दलों के लिए मजहबी काम कर रहे हैं. किसी एक का नाम लूं तो अभी तमाम प्रिय पाठकों को लाल-काली, हरी मिर्च परेशान कर सकती है.

हिंदुस्तान में बाबा किसी भी मजहब का हो, वो रातोंरात पुजने लगता है. देखते ही देखते अनाम गांव-खेडे धाम बन जाते है. इन नव विकसित धामों में छुटभैया नेताओं से लेकर पंत प्रधान तक हाजरी लगाते हैं. पिछले एक दशक से हिंदुस्तान में हिंदूवादी सरकार है इसलिए हिंदू बाबा पनप रहे हैं, दूसरे मजहबों के बाबाओं की दूकानें कम चल रहीं हैं लेकिन बंद नहीं हुई. यदि बंद हो जातीं तो ये झांगुर बाबा कैसे अपना धंधा कर पाता. धर्म को जितने भी बाबाओं ने धंधा बनाया है वे ऐश कर रहे हैं. सबसे कम उम्र के एक बाबा विदेशों में भगोडे नीरव मोदियों से ज्यादा मजे कर रहे हैं.

यूपी में यदि धर्मान्तरण का धंधा धडल्ले से चल रहा था तो मुख्यमंत्री योगी आदिनाथ को नैतिकता के आधार पर अब तक इस्तीफा दे देना चाहिए था. धर्मान्तरण का धंधा सब करते हैं फर्क सिर्फ इतना है कि कोई धर्मांतरण सरकार को राष्ट्र और धर्म की सेवा लगता है तो कोई राष्ट्रद्रोह और धर्मविरोधी लगता है. सवाल ये है कि धर्मान्तरण का धंधा हिंदुस्तान में ही क्यों फल-फूल रहा है? जबाब है कि इस देश में 80 करोड से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो दो क्या एक जून की रोटी के लिए मोहताज़ हैं. सरकार यदि इन्हे न पाले तो ये रोटी के लिए अपना तन, मन, मजहब, मुल्क सब बेच दें.

कहने का आशय ये है कि धर्मान्तरण हमारी सरकारों की विफलता है. देश में न भूख से बिलबिलाते लोग हों और न कोई रोटी, रोजगार, दवा, शिक्षा के लिए अपना मजहब बदले. झांगुर बाबा भले ही झींगुर की मौत मरे लेकिन इससे ईंगुर (सिंदूर)का धंधा करने वालों का दोष समाप्त नहीं हो जाता. मैने आधी सदी में धर्मान्तरण की जितनी खबरें हिंदुस्तान में पढीं हैं उतनी दुनिया के किसी देश में नहीं. मै बार -बार सोचता हूं कि जस देश में हिंदू धर्म की ध्वजा फहराने के लिए चार शंकराचार्य, 14 अखाडा परिषदें, मठ, मंदिर और अब तो कोरीडोर साथ ही हिन्दू वादी सरकारें हों उस मुल्क में ये झांगुर, झींगुर, मक्खी, मच्छर, राम-रहीम, आसाराम आखिर अपना साम्राज्य खडा कैसे कर लेते हैं ?

@राकेश अचल

शनिवार, 12 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा पर प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान में शिक्षकों का सम्मान

 

ग्वालियर। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रेस्टीज प्रबंधन एवं शोध संस्थान, ग्वालियर में एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें संस्थान के समर्पित और प्रेरणादायक शिक्षकों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में छात्रों और प्रबंधन की ओर से शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की गई और उनके शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान की सराहना की गई।

इस अवसर पर संस्थान की प्राचार्या डाॅ राखी सिंह चौहान ने शिक्षकों को आधुनिक युग के पद प्रदर्शन बताते हुए कहा कि एक शिक्षक न केवल ज्ञान देता है बल्कि विद्यार्थियों के जीवन निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विभागों के फैकल्टी सदस्यों को फूल माला और प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। छात्र-छात्राओं ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का संचालन मयूरी जोशी, साहित्य प्रभा क्लब की सांस्कृतिक समिति द्वारा किया गया। संस्थान द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम गुरु शिष्य परम्परा की सुंदर झलक प्रस्तुत करता है और यह संदेश देता है कि समाज के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

आजकल डॉ मोहन यादव पर लट्टू हैं ज्योतिरादित्य

चौंकिए मत! आज का शीर्षक सौ फीसदी सही है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आजकल मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पर लट्टू हैं. वे इससे पहले के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वर्गीय बाबूलाल गौर या कमलनाथ पर इतने फिदा नहीं थे जितने कि डॉ यादव पर हैं.

मप्रके मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पर सिंधिया के फिदा होने की एक वजह हो तो गिना भी दें लेकिन डेढ साल में मुख्यमंत्री यादव ने सिंधिया के अहं को जिस ढंग से संतुष्ट किया है वो काबिले गौर है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने सबसे बडी चुनौती दर असल सिंधिया नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. चौहान का दबाब कम करनेके लिए ही मोहन यादव का झुकाव सिंधिया की ओर हो गया है.

पिछले डेढ साल में सिंधिया ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को जब भी याद किया वे गुना से लेकर ग्वालियर के बीच हाजरी देते नजर आए. मुख्यमंत्री यादव ने सिंधिया को भी खुश रखा और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिह तोमर को भी. मुख्यमंत्री डॉ यादव नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेन्द्र तोमर द्वारा आयोजित भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में भी शामिल हुए. डॉ यादव दर असल हिकमत अमली के उस्ताद साबित हो रहे हैं. उन्हे पता है कि सिंधिया पासंग वाले नेता हैं. वे जब शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में उतरे तो चौहान को सत्ता से हाथ धोना पडे थे, कमलनाथ के खिलाफ उतरे तो उनकी कुरसी चली गई थी और जब सिंधिया कमलनाथ तथा शिवराज सिंह चौहान पर मेहरबान हुए तो उन्हे रातोंरात सत्ता में वापिस भी ले आए थे.

सूत्र बताते हैं कि सिंधिया ने भी सूबे में अपना वजूद बनाये रखने के लिये सिंधिया को खुश रखने में कोई कंजूसी नहीं की. मुख्यमंत्री यादव ने सिंधिया की कमजोर नस पकड ली है. सिंधिया को अपनी जै - जै पसंद है और मुख्यमंत्री यादव को जै- जै करने में कोई संकोच नहीं है. वे समझ गये हैं कि सिंधिया की जै- जै करना सस्ता सौदा है. सिंधिया के इशारे मुख्यमंत्री समझने लगे हैं. किस अफसर को सिंधिया पसंद करते हैं और किससे खफा हैं ये मुख्यमंत्री को पता रहता है. ग्वालियर और गुना में इनदिनों सिंधिया 'मिनी मुख्यमंत्री ' की भूमिका में नजर आने लगे हैं

पिछले दिनों ग्वालियर में समरसता सम्मेलन में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की शान में कसीदे पढे. विधानसभा सभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में कसीदे पढे. सिंधिया ने सम्मेलन में आमंत्रित भीड को भोजन परोसने में भी मुख्यमंत्री का हाथ बंटाया. बेचारे तोमर साहब देखते रहे.दरअसल ग्वालियर भाजपा में सिंधिया समर्थकों की संख्या पहले कम थी, लेकिन अब सिंधिया ने संगठन में भी अपनी जगह बना ली है.

आपको बता दें कि सिंधिया को साधकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादल सूबे में लोकप्रियता के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौऔहान से बडी लकीर खींचने लगे हैं. डॉ यादव अपने आपको आम आदमी के रूप में स्थापित करना चाहते है. इसके लिए वे काम भी कर रहे है.मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निवासी उस वक्त हैरान रह गए, जब गुरुवार की रात प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अचानक उनके बीच पहुंच गए. मुख्यमंत्री ने बाजार में न केवल आम जनता से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना, बल्कि एक ठेले वाले से फल भी खरीदे. उन्होंने फल विक्रेता को डिजिटल पेमेंट भी किया.

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने अपने समर्थकों को भाजपा संगठन और निगम, मंडलों में जगह दिलाने की चुनौती है

डॉ यादव से पहले शिवराज सिंह चौहान ने लंबे अरसे तक निगम, मंडलों में नियुक्तियां न कर सिंधिया की खूब किरकिरी कराई. डॉ यादव को पता है कि सिंधिया की पार्टी हाईकमान और आर एस एस में भी गहरी पैठ है जो प्रदेश में सत्ता संतुलन बनाए रखने के बहुत काम आ सकती है. इसलिए वे सिंधिया की हर छोटी- बडी ख्वाहिश पूरी करने में कोई कंजूसी नसी कर रहे है.सिंधिया के आभामंडल का लाभ जितना डॉ मोहन यादव ने हंसते, मुस्कराते ले लिया है इसका अनुमान खुद सिंधिया को भी नहीं है.

मजे की बात ये है कि इस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री यादव के प्रति जितने विनम्र हैं शिवराज सिंह चौहन उतने ही उग्र. चौहान तो पिछले दिनों अपने क्षेत्र के आदिवासियों को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर भी जा धमके थे. चौहान ने खाद, बीज के मुद्दे पर परोक्ष रूप से यादव सरकार की किरकिरी कराई. अब देखना ये है कि सिंधिया और डॉ मोहन यादव की ये नयी कैमिस्ट्री कितने दिन चलती है.अतीत में ज्योतिरादित्य के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के बीच भी इसी तरह की कैमिस्ट्री हुआ करती थी. 

@ राकेश अचल

शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

पुलिस ने अज्ञात हत्या का खुलासा कर आरोपी को किया गिरफ्तार

 

टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार 

 टीकमगढ़ मध्यप्रदेश । पुलिस अधीक्षक टीकमगढ़ मनोहर सिंह मंडलोई के निर्देशन में थाना देहात अंतर्गत हुई अज्ञात हत्या का खुलासा कर आरोपी को किया गया गिरफ्तार।

*घटना का विवरण*- दिनांक 9.7.25 को थाना देहात पुलिस को सूचना प्राप्त हुई की हरिजन बस्ती रेलवे पुल नरगुडा के पास एक व्यक्ति का शव पड़ा हुआ है सूचना पर थाना देहात पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची जहां पुलिस ने पाया कि एक व्यक्ति का शव पड़ा हुआ है प्रथम दृष्टया शव को देखकर पाया गया कि किसी भौथरी (मॉथली) वस्तु से उक्त व्यक्ति के  सिर व मुंह  में चोटे पहुंचाकर हत्या कर दी गई है। मृतक की पहचान पुष्पेंद्र लोधी पुत्र अजुद्दी लोधी उम्र 38 बर्ष निवासी माडुमर थाना कोत. के रूप मे हुई। जिस पर थाना देहात में अपराध क्रमांक 249/ 25 धारा 103 (1) बीएनएस  के तहत अपराध पंजीबद्ध कर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया।

 *वरिष्ठ अधिकारियो द्वारा दिये गये निर्देश* - उक्त घटना को पुलिस अधीक्षक टीकमगढ़ मनोहर सिंह मंडलोई द्वारा गंभीरता से लेते हुए उक्त अज्ञात  हत्या का खुलासा कर आरोपी को गिरफ्तार करने हेतु अतरिक्त पुलिस अधीक्षक सीताराम अनु. अधि.पुलिस टीकमगढ़ राहुल कटरे के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी देहात  चन्द्रजीत यादव के नेतृत्व पुलिस टीम गठित की गई।

 *पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही* - गठित पुलिस टीम द्वारा मामले की विवेचना करते हुए परिवार वालों के बयान एवं मुखविर से प्राप्त सूचना के आधार पर आरोपी राजू उर्फ राजेंद्र राजपूत पिता स्वर्गीय अर्जुन राजपूत उम्र 39 वर्ष निवासी ग्राम माडुमर हाल निवासी नारगुडा टीकमगढ़ को गिरफ्तार किया गया आरोपी ने पूछताछ पर उक्त हत्या करना कबूल किया।

 *तरीका ए वारदात* दिनांक 8.7.25 को समय लगभग रात 8 बजे घटना स्थल हरिजन बस्ती रेलवेपुल नारगुडा के पास मृतक एवं आरोपी द्वारा शराब पीने के द्वारान मृतक द्वारा आरोपी की पत्नी के संबंध में अश्लील बातें करने पर वाद-विवाद होने पर आरोपी द्वारा आवेश में आकर मृतक को धक्का देकर नीचे पटककर पास में पड़े हुए पत्थर से सिर व मुंह में चोटे पहुंचाई जिससे मृतक की मृत्यु हो गई।

 *घटना का कारण* - आरोपी एवं मृतक द्वारा शराब पीने के दौरान मृतक द्वारा आरोपी की पत्नी के संबंध में अश्लील बातें करने पर वाद-विवाद होना

 *गिरफ्तार आरोपी का विवरण* - राजू उर्फ़ राजेंद्र राजपूत उम्र 39 बर्ष निवासी ग्राम माडुमर हाल निवासी नारगुडा दरवाजा टीकमगढ़

 *मृतक का विवरण* - पुष्पेंद्र लोधी पुत्र अजुद्दी लोधी उम्र 38 बर्ष निवासी माडुमर थाना कोतवाली

 *सराहनीय भूमिका* - थाना प्रभारी देहात  चन्द्रजीत यादव, उनि. वीणा विश्कर्मा,  प्रधान आरक्षक- रज्जन रैकवार, अभय मिश्रा, मुईन खान आर.- भास्कर मिश्रा, योगेश, अरवाज, महिला आर. अंकिता,

बुधवार, 9 जुलाई 2025

दूसरों से थोडा हटके तो हैं मुख्यमंत्री मोहन यादव

 

इन दिनैं जब सरकारी बंगले को लेकर देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय यशवंत चंद्रचूड साहब सुर्खियों में तब मुझे मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का जिक्र जरूरी लगा. डॉ मोहन यादव सरकारी बंगले में रहते हैं लेकिन उनका परिवार नहीं. परिवार गृहनगर उज्जैन में ही रहता है.

आपको पता है कि मै किसी का भी कसीदा नहीं लिखता. इस मामले में शुरू से निर्मम हूँ. डॉ यादव के बारे में भी लिखते हुए मेरी कलम निर्मम ही रहती है लेकिन जब मुझे पता लगा कि सचमुच मुख्यमंत्री यादव का परिवार सरकारी बंगले के मोह से मुक्त है तो मुझे अच्छा लगा. क्योंकि सरकारी बंगले के मोह ने जस्टिस वायवी चंद्रचूड को भी विवादों में ला खडा किया. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का सरकारी बंगला तो चुनावी मुद्दा तक बना ही था.

आपको याद होगा कि अरविंद केजरीवाल ने सरकारी बंगला इतना सजा दिया था कि भाजपा को वो शीश महल लगने लगा था , यह विवाद 2023-2024 में दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान प्रमुखता से उभरा, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने सरकारी बंगले के नवीनीकरण पर 33.66 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जिसमें महंगे झूमर, स्मार्ट टीवी, और अन्य लग्जरी सुविधाएं शामिल थीं। बीजेपी ने इसे 'शीशमहल' करार देते हुए इसे भ्रष्टाचार और जनता के पैसे के दुरुपयोग का प्रतीक बताया था.

मप्र के मुख्य मंत्री मोहन यादव ने राजधानी भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास  में अपने परिवार के न रखने की वजह को छिपा रखा था. लेकिन जब खुसुर-पुसुर शुरु हुई तो उन्होने खुद कहा कि उनका मानना है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद पूरे परिवार को सरकारी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए आगे नहीं आना चाहिए.

 यादव कहते हैं कि परिवार को सरकारी दायित्वों से दूर रखना उनकी सोच और जवाबदेही का हिस्सा है. 

आपको बता दूं कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का एक बेटा डॉ अभिमन्यु भोपाल के एक  मेडिकल कॉलेज में एमएस का छात्र है, लेकिन वह  भी मुख्यमंत्री आवास में न रहकर कालेज हॉस्टल में रहता है. यादव का दूसरा बेटा अपनी मां के साथ गृहनगर उज्जैन में ही रहता है. उज्जैन में उनकी बेटी और दामाद  एक अस्पताल संचालित करते हैं. यादव को उनकी पत्नी सीमा यादव ने भी उनका पूरा साथ दिया है. पहले वे अपने वृद्ध सास की सेवा के लिए उज्जैन में रहीं और अब हाल ही में हुई अपने बड़े बेटे की शादी के बाद नई बहू और परिवार की जिम्मेदारियों को संभाल रही हैं

सबको चौंकाकर अप्रत्याशित रुप से मुख्यमंत्री बने डॉ मोहन यादव  ने बताया "मेरी श्रीमती ने कहा कि आप राजधानी भोपाल में रहें, कोई दिक्कत नहीं, मैं बच्चों का ध्यान रखूंगी. यादव  इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदर्श मानते हैं. उनका कहना है कि सरकारी दायित्व निभाते समय परिवार को दूरी बनाए रखनी चाहिए. हम प्रधानमंत्री जी का ही अनुसरण कर रहे हैं और उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. 

आपको याद हो गया कि सरकारी बंगलों से परिवार को बहुत कम नेता दूर रख पाते हैं, अन्यथा जिनके पास पूरा परिवार नहीं होता वे नेता अपनी बेटी-दामाद को ही सरकारी बंगले में रख लेते हैं. पूर्व राष्ट्रपति डॉ ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी इसका उदाहरण हैं. ये पहला मौका है जब दिल्ली में प्रधानमंत्री का और भोपाल में मुख्यमंत्री का सरकारी बंगला परिवार विहीन है.

डॉ मोहन यादव को मप्र की कमान सम्हालते डेढ साल हो गया है, लेकिन वे अभी शिवराज सिंह चौहान की तरह अपनी अलग छवि नहीं गढ पाए है. वे न मामा बन पाए न भैया हालांकि उन्होने शिवराज सिंह चौहान द्वारा बनाई लाडली बहनों को हर महीने दी जाने वाली रकम बढा दी है. अब देखना है कि आने वाले दिनों में वे अपनी अलग छवि गढ पाते हैं या नहीं. वे कोशिश तो लगातार कर रहे हैं. भोपाल में दो मुख्यमंत्री आवास हैं एक श्यामला पहाड़ी पर एक विंध्य कोठी में तीसरा मुख्यमंत्री निवास उज्जैन में कुलपति के आवास को तोड़ कर बनाया गया है चौथा मुख्यमंत्री आवास इंदौर में निर्मित हो रहा है  और पांचवा मुख्यमंत्री आवास दिल्ली में आवंटित किया गया है.

@राकेश अचल

मंगलवार, 8 जुलाई 2025

टेकनपुर : आरजेआईटी के 60 छात्रों का देश के प्रमुख संस्थानों में प्रशिक्षण अभियान जारी

टेकनपुर, मध्य प्रदेश: सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा संचालित रुस्तमजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (RJIT), बीएसएफ अकादमी, टेकनपुर के 60 छात्र, तीन समूहों में देश के प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों का शैक्षिक भ्रमण कर रहे हैं। प्रत्येक समूह में 20 छात्र शामिल हैं, जो आधुनिक तकनीकों और नवाचारों से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भारत के शीर्ष संस्थानों का दौरा कर रहे हैं।कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर योगराज शर्माने बताया कि यह शैक्षिक भ्रमण संस्था के वाइस चेयरमैन और डायरेक्टर अकैडमी  शमशेर सिंह आईपीएस, ए डी जी बीएसएफ  के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।

पहला समूह, जिसका नेतृत्व फैकल्टी समन्वयक डॉ. अरविंद शर्मा कर रहे हैं, 29 जून 2025 को ग्वालियर से रवाना हुआ। इस समूह ने अहमदाबाद में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU), नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU), और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIMA) का दौरा किया। आज, 7 जुलाई 2025 को यह समूह वडोदरा स्थित गति शक्ति विश्वविद्यालय पहुंचा, जहां छात्रों ने परिवहन, लॉजिस्टिक्स और संबंधित तकनीकों में नवाचारों की जानकारी हासिल की।

दूसरा समूह, जिसके समन्वयक  विवेक गुप्ता हैं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास में अपना शैक्षिक भ्रमण शुरू कर चुका है। यह समूह डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है, जो उन्हें तकनीकी नवाचारों और अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में दक्षता प्रदान करेगा।

तीसरा समूह, फैकल्टी कॉर्डिनेटरडॉ देवेंद्र राघव के नेतृत्व में गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) पहुंचा है, जहां छात्र एम्बेडेड सिस्टम और साइबर सुरक्षा में विशेष प्रशिक्षण ले रहे हैं। यह प्रशिक्षण छात्रों को साइबर खतरों, डिजिटल फोरेंसिक्स, और एम्बेडेड सिस्टम डिज़ाइन जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्रदान करेगा, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

RJIT के मुख्य प्रशासक  ए.के. आर्य, डीआईजी बीएसएफ, ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह शैक्षिक भ्रमण हमारे छात्रों को देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में सीखने का अवसर दे रहा है। यह कार्यक्रम उनके तकनीकी कौशल को निखारेगा और राष्ट्रीय सुरक्षा व नवाचार के क्षेत्र में उनकी भूमिका को मजबूत करेगा।”

RJIT के प्राचार्य डॉ प्रशांत जैन ने इस पहल को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा, “यह शैक्षिक भ्रमण हमारे छात्रों को तकनीकी और प्रबंधन क्षेत्रों में उत्कृष्टता की ओर ले जा रहा है। यह उन्हें सहयोग और नवाचार की भावना से जोड़ेगा।” उन्होंने RJIT के वाइस चेयरमैनएवम् निदेशक बीएसएफ अकादमी  शमशेर सिंह, IPS, ADG बीएसएफ, मुख्य प्रशासक  ए.के. आर्य और  मनीष चंद्रा, कमांडेंट सीएसएमटी को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।

RJIT के रजिस्ट्रार डॉ. यू.एस. शर्मा ने सभी छात्रों को इ अवसर के लिए बधाई दी और कहा, “यह कार्यक्रम हमारे छात्रों को तकनीकी नवाचार और राष्ट्रीय सेवा के प्रति समर्पण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने में मदद करेगा।”

यह शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम RJIT और देश के अन्य शीर्ष संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगा, साथ ही छात्रों को तकनीकी और रक्षा क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिए प्रेरित करेगा। यह पहल न केवल छात्रों के शैक्षिक विकास को गति देगी, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए तकनीकी नेतृत्व और राष्ट्रीय सेवा के प्रति तैयार भी करेगी।

थिंक एंड सपोर्ट फाउंडेशन केडॉ. केशव पांडे अध्यक्ष बने

 ग्वालियर  ।  थिंक एंड सपोर्ट फाउंडेशन एक समाजसेवी संस्था है जो पूरे मध्य प्रदेश भर में समाज सेवा का कार्य करती है जिसमें धार्मिक आयोजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल के विभिन्न कार्यक्रमों में सहयोग एवं गौ सेवा मानव सेवा गरीब बच्चों की शिक्षा एवं प्रतिदिन भोजन वितरण की सेवा सुचारू रूप से जारी रहती है।

 निरंतर 10 वर्षों से समाज सेवा के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था अध्यक्ष के रूप में डॉ. केशव पांडे को अध्यक्ष सुनिश्चित किया अब उनके मार्गदर्शन में संस्था और बढ़-चढ़कर कार्य करेगी।

 इस अवसर पर डॉ. केशव पांडे को अनिल शंकरनंद गिरी (जूना अखाड़ा तेरा मणि जगरावा परिवार) ने माला पहना कर बधाई दी । बधाई देने वालोँ  संस्था के समस्त पदाधिकारी सुकन्या शर्मा  एसपी श्रीवास्तव  केदारनाथ गोयल  हर्ष बंसल आकाश मिश्रा  आचार्य श्री रवि तिवारी मनीष कुमार बरखा नामदेव  गौरी शर्मा राजेश कुशवाहा  अन्य संस्था के पदाधिकारी एवं  कार्यकर्ता शामिल थे ।


सोमवार, 7 जुलाई 2025

ज्योतिरादित्य को खानसामा मत समझिये, वे महाराज ही हैं

  

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की इस तस्वीर को देखकर आजकल कहा जा रहा है कि भाजपा ने पांच साल में ही महाराज (राजा)को महाराज(खानसामा )बना दिया. लेकिन मैं इस धारणा से इत्तफाक नहीं रखता. मेरी मान्यता है कि भाजपा में आकर भी ज्योतिरादित्य के भीतर का सामंत जैसा पहले था, ठीक वैसा ही आज भी है बल्कि आज पहले के मुकाबले ज्यादा सुकून में है.

सिंधिया परिवार में सौजन्यता, विनम्रता और सामंतवाद का दुर्लभ लक्षण है. मै पिछले पांच दशक से इसे बहुत नजदीक से देख रहा हूँ. ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया को ममत्व और त्याग की मूर्ति कहा जाता था. वे थी भी बहुत साधारण. राजपथ छोडकर लोकपथ पर आने वाली वे सिंधिया घराने की पहली महिला थीं. वे साहसी थीं, भावुक थीं और जिद्दी भी. उनकी तुनकमिजाजी खास मौकों पर ही प्रकट होती थी.

राजमाता को भी मैने अपने हाथों से अपने अतिथियों को भोजन परोसते देखा है. 1980के आसपास जब मै नया-नया पत्रकार था तब मैने भी उनके हाथों परोसा भोजन किया है. मुझे तो वे बुंदेली होने के नाते अतिरिक्त तवज्जो देतीं थीं लेकिन उन्हें भाजपा या जनसंघ या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने विनम्र नहीं बनाया था. ये विनम्रता जीवन के तमाम उतार-चढाव की वजह से उनके जीवन में आयी थी. यदि मैं इन उतार -चढावों के बारे में लिखूंगा तो मामला बेहद निजी हो जाएगा. लेकिन संकेतों से समझिये कि उन्हे राजनीति और निजी जीवन में जो खट्टे -मीठे अनुभव मिले, उनसे वे विनम्र हुईं.

राजमाता के पुत्र स्वर्गीय माधवराव सिंधिया तो अपनी माँ और बेटे के मुकाबले हजार गुना अधिक विनम्र और दो हजार गुना ज्यादा सामंत थे. लेकिन उन्हे जनसंघ या कांग्रेस ने विनम्र नहीं बनाया था. वे भी अपनी मां की तरह जीवन की कडवी सच्चाई से दो -चार होते हुए विनम्र बने थे. वे भी अपने मेजवानों को अपने हाथ से खाना परोसने में ही हीं बल्कि निजी आयोजनों में और कुछ भी परोसने में संकोच नहीं करते थे. उनके साथ एक पत्रकार के नाते मेरा लंबा रिश्ता रहा. मैं उनका धुर विरोध रता था किंतु वे मेरे प्रति विनम्र ही रहे.

रही बात ज्योतिरादित्य की तो उन्हे मैने उनकी किशोरावस्था से देखा है. उनका पहला साक्षात्कार उनके पिता के कहने पर आजतक के लिए मैने ही किया था. माधवराव सिंधिया के  आकस्मिक निधन के बाद राजनीति में आए ज्योतिरादित्य के साथ पहली बार शिवपुरी में प्रेस से मैने ही उन्हे रूबरू कराया था. लेकिन 2000 के ज्योतिरादित्य  और आज के ज्योतिरादित्य में कोई तब्दीली आई हो ऐसा मुझे नहीं लगता. उनकी विनम्रता, उनकी सादगी, उनका सौजन्य परिस्थितिजन्य है. ज्योतिरादित्य को भी ढाई दशक की राजनीति ने बहुत कुछ अभिनय करना सिखा दिया है. उन्होने राजनीति में सम्मान, तिरिष्कार, पराजय, अपमान सब देखा है. भाजपा में जब वे शामिल हुए थे तब घबडाए हुए थे लेकिन वे आज भाजपा में अपने आपको पूरी तरह सुरक्षित महसूस करते हैं. भाजपा में ज्योतिरादित्य का आत्मविश्वास तब से और बढा है जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से अपना दामाद कहा है.

ज्योतिरादित्य को अपने परिवार के साथ जिन लोगों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने हाथ बांधे खडे देखा था वे भी भ्रम में हैं और वे भी भ्रम में हैं जो समरसता सम्मेलन में ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री के साथ खाना परोसते देख ये समझ बैठे हैं कि महाराजाधिराज खाना परोसने वाले महाराज बन गये हैं. ज्योतिरादित्य बिल्कुल नहीं बदले. उनमें अपनी दादी की तरह बगावत करने का भी जज्बा है और अपने पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की तरह शतुरमुर्गी मुद्रा अपनाने का साहस भी. 

ज्योतिरादित्य अब बहुत परिपक्व हो चुके हैं. उनका एक मात्र लक्ष्य कहिये या सपना या महात्वाकांक्षा वो है अपनी आंखों के सामने अपने बेटे को संसद में भेजना. भाजपा में सिंधिया का रास्ता निष्कंटक है. उनके परम विरोधी जयभान सिंह पवैया उनके बगलगीर हैं. प्रभात झा रहे नहीं. नरेंद्र सिंह तोमर ठंडी आग बन चुके हैं. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से ज्योतिरादित्य ने पेंगे बढा ही ली है.

पिछले पांच साल में ज्योतिरादित्य ने न केवल भाजपा संगठन में बल्कि आर एस एस में भी जगह बना ली है.. आपको याद होगा कि संघ तो अपने जन्म से ही सिंधिया परिवार का ऋणी है. ज्योतिरादित्य की दादी ने संघ, जनसंघ और भाजपा को तमाम संपत्ति न्यौछावर में दे दी थी.इसलिए फोटो देखकर भ्रम पालना छोड दीजिये मित्रों.

@ राकेश अचल

उन्नाव लालाजी में सूर्य भगवान की पालकी यात्रा में शामिल हुए पिरोनिया

ग्वालियर ।भांडेर के पूर्व विधायक एवं मप्र बांस विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष श्री घनश्याम पिरौनिया ने आज विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर उनाव बालाजी महाराज की पालकी यात्रा में शामिल होकर पूजन किया तथा पालकीरथ को भक्तों के साथ हाथों से खींचकर पुण्य लाभ लिया । इस अवसर पर भाजपा मंडल अध्यक्ष श्री दिनेश शर्मा घरावा ने भक्तों द्वारा भगवान के भजनों का गायन  में शामिल होकर भजन मंडली में भी पूर्व विधायक घनश्याम पिरोनिया में बालाजी महाराज के भजनों का गायन किया । इस अवसर पर सैकड़ो की संख्या में धर्मावलंबी उपस्थित थे ।

रविवार, 6 जुलाई 2025

साड़ी नॉट सौरी ग्रुप की सातवीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई

 

ग्वालियर। साड़ी नॉट सौरी ग्रुप के सात साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ग्रुप की महिलाओं ने सातवीं सालगिरह का उत्सव धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर ग्रुप की महिलाओं ने हीरोइनस ऑफ बॉलीवुड थीम पर बॉलीवुड की पुरानी एवं नई अभिनेत्रियों को याद करके एवं उन्हीं के अंदाज में आकर इस दिन को काफी एन्जॉय किया एवं आठवें साल की शुरूआत की। 

ग्रुप की फाउंडर श्रीमती रिचा शिवहरे ने बताया कि साड़ी नॉट सौरी ग्रुप ग्वालियर का एक पहला सांस्कृतिक ग्रुप है जो कि भारतीय परिधान एवं संस्कृति को बढ़ावा देता है। इस ग्रुप की शुरुआत सात वर्ष पहले भारतीय सभ्यता एवं ग्वालियर की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने के लिए की थी। उन्होंने बताया कि हमारे ग्रुप में 7 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर हैं। जिनमे डा. प्रतिभा शर्मा, करिश्मा जैन, प्रज्ञा आचार्य, पल्लवी मिश्रा, तारिणी बंसल, प्रज्ञा बंसल एवं डॉ मनुस्मृति पुरोहित शामिल हैं। इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों को रिटर्न गिफ्ट दी गई ।

शनिवार, 28 जून 2025

बेटे से बतरस

 सचमुच खतरे में है संविधान बेटा

लोग मिटा देंगे नामो-निशान बेटा

😡

कडवे बोल, बोलते हैं बेशर्मी से 

सत्ता में बैठे मंत्री, प्रधान बेटा 

😡

सोशलिज्म को ये नासूर बताते हैं

भरते हैं जनता के रोज कान बेटा 

😡

नहीं सुहाता इन्हे धर्मनिरपेक्ष कोई 

इन्हे चाहिए बस हिंदू महान बेटा

😡

कसमें खाकर संविधान की घुस आए 

सत्ता में लगता है तालिबान बेटा

😡

ये तो खुर्द -बुर्द करने आए हैं सब

रखना होगी मिलकर आन-बान बेटा

😡

इन्हे सनातन रहने की है बीमारी 

नहीं सुहाती गुरुवानी, कुरान बेटा 

😡

सुनकर बोल वचन संघी गणनायक के

शर्मसार है धरती-आसमान बैटा 

😡

@ राकेश अचल

शुक्रवार, 20 जून 2025

एमपी बोर्ड परीक्षा में विज्ञान संकाय के टॉपर्स हुए सम्मनित

 

ग्वालियर 20 जून ।  महाराज बाड़ा स्थित शासकीय केन्द्रीय पुस्तकालय के सभागार में गुरुवार को श्री पी.एम. गुप्ता स्मृति सम्मान समारोह 2025 का आयोजन किया गया। ग्वालियर जिले के विज्ञान संकाय में माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा आयोजित हायर सेकेंडरी स्कूल सार्टिफिकेट परीक्षा 2025 के टॉपर्स को इस समारोह में नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र, मणिमाला व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। 

यह समारोह प्रभारी संयुक्त संचालक लोक शिक्षण श्री हरिओम चतुर्वेदी के मुख्य आतिथ्य एवं जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार के विशेष आतिथ्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री पीएम गुप्ता मेमोरियल ट्रस्ट श्रीमती पवित्रा गुप्ता ने की। इस अवसर पर ट्रस्ट के सचिव श्री देवेन्द्र गुप्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन एवं माँ सरस्वती की प्रतिमा पर व स्व. श्री पी.एम. गुप्ता के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।

यह विधार्थी हुए सम्मानित 

. रितिक गुप्ता पिता श्री अजय गुप्ता, (481/500, जिले की प्रवीणता सूची में प्रथम) को रू. 5100-/की नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र, मणिमाला व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

. कुमारी गौरी पाल पिता श्री रवि पाल, (480/500, जिले की प्रवीणता सूची में द्वितीय) को रू. 4100-/ की नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र, मणिमाला व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

. राज कौतु पिता श्री यज्ञदत्त कौतु, (477/500, जिले की प्रवीणता सूची में तृतीय) को रू. 3100-/ की नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र, मणिमाला व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

. अक्षत श्रीवास्तव पिता श्री अमित श्रीवास्तव, (400/500, विद्यालय में प्रथम) को रू. 2100-/की नगद राशि एवं प्रशस्ति पत्र, मणिमाला व अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में विशेष रूप से आदर्श गुरू की धर्मपत्नी श्रीमती पवित्रा गुप्ता एवं विद्यालयों के प्राचार्य, व्याख्याता एवं अधिक संख्या में छात्र एवं छात्राएँ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन पुस्तकालय प्रबंधक शासकीय केन्द्रीय पुस्तकालय श्री विवेक कुमार सोनी ने किया। आयोजन संयोजक डॉ. जी.डी. अग्रवाल इन्दौर ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में ग्रंथपाल सुश्री पूजा साहू, अनीता औड़िया, गीता अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, दीपक अग्रवाल, अनिल प्रताप सिंह, आकाश पाल, शिवम शर्मा, लक्ष्मी यादव, कमल चामड़िया आदि उपस्थित रहे। 

शनिवार, 17 मई 2025

राज्य स्तरीय कराते प्रतियोगिता में करेगे शिरकत खिलाड़ी


ग्वालियर  । मध्यप्रदेश स्पोर्ट्स कराते एसोसिएशन द्वारा 16 एवं 17 मई को इन्दौर में आयोजित राज्य स्तरीय कराते प्रतियोगिता में भाग लेने जिले का 16 सदस्यीय दल इन्दौर पहुंच चुका है।

कराते .डो एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर के अध्यक्ष डॉ केशव पाण्डेय ने उक्त आशय की जानकारी में बताया है कि सब जूनियर, जूनियर एवं कैडेट संवर्ग में बालक .बालिकाओं की काता, कुमिते स्पर्धाओं में भाग लेने हेतु सना खान, विधि शर्मा, अनुष्का भदौरिया, आकृति तोमर, निशा खान, पृथ्वीराज पाण्डेय,  दिव्य नारायण, प्रेम यादव, अमन शर्मा, योगेश जाटव, सौरभ कुशवाह का चयन किया गया है। 

टीम कोच शिवम कुशवाह, टीम मैनेजर मोहित चौरसिया सहित, कराते डो एसोसियेशन ऑफ ग्वालियर  के कार्यकारी सचिव शिहान संतोष पाण्डेय एवं सचिव सतीश राजे के नेतृत्व में इन्दौर पहुंचे। इस प्रतियोगिता के स्वर्ण पदक विजेताओं को आगामी 10 से 14 जून तक कराते इंडिया ऑर्गनाइजेशन ‘किओ‘ के द्वारा देहरादून में आयोजित की जाने वाली नेशनल कराते चैंपियनशिप में मध्यप्रदेश की ओर से हिस्सा लेने का अवसर प्राप्त होगा।

संस्था के उपाध्यक्ष डॉ आदित्य भदौरिया, संयुक्त सचिव धर्मेंद्र नागले, राकेश गोस्वामी एवं अमित यादव ने सभी खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।

शुक्रवार, 16 मई 2025

विभिन्न प्रतियोगिता में 67 बच्चे पुरस्कृत

  


एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसायटी का आयोजन 

ग्वालियर। एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर यूथ सोसायटी द्वारा विगत दिनों में चित्रांकन प्रतियोगिता के विभिन्न आयोजन आयोजित किए गए थे संस्था के अध्यक्ष संजय कट्ठल ने बताया कि 22 अप्रैल को अर्थ डे पर चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई 8 मई को रेडक्रास दिवस पर चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई और 11 मई को मदर्स डे के अवसर पर चित्रांकन प्रतियोगिता आयोजित की गई थी इन सभी प्रतियोगिता में विजेता बने बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा यह पुरस्कार वितरण समारोह 14 मई को स्थानीय दीनदयाल सिटी मॉल फ़ूड कोर्ट में प्रातः 11:00 बजे से किया गया इस आयोजन में मुख्य अतिथि धनश्याम पिरोनिया जी विधायक भांडेर एवम् विशिष्ट अतिथि अनिता गुर्जर थाना प्रभारी अजाक पूर्व सभापति ब्रिजेन्द्र सिंह जादौन उपस्थिति थे इस पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता संजय कट्ठल ने की इस आयोजन की आयोजन समिति मनोज अग्रवाल बाबा डाक्टर मनीष रस्तोगी विशाल जैन अशोक जैन ने सभी विजेताओं को पुरस्कार प्राप्त करने पर बधाइयां प्रेषित की इस अवसर पर मुख्य अतिथि धनश्याम पिरोनिया ने कहा कि बच्चों को मनोबल बढ़ाने के लिए आयोजन होते रहना चाहिए अनिता गुर्जर जी ने कहा की बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा बच्चों को पुरस्कृत करना चाहिए बिजेंद्र सिंह जादौन ने कहा बच्चों के आयोजन होते रहना चाहिए इससे बच्चों का मानसिक विकास होता है 


*अर्थ डे चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता एवम् उप विजेता इस प्रकार है वर्ग ए में प्रथम पुरस्कार जाह्नवीका उड्डयन द्वितीय पुरस्कार आर्यन सक्सेना तृतीय पुरस्कार सानवी दुसेजा वर्ग बी में प्रथम पुरस्कार आध्या जैन द्वितीय पुरस्कार वंशिका बतरा तृतीय पुरस्कार खुशी गुप्ता वर्ग सी में प्रथम पुरस्कार अवनि जैन द्वितीय पुरस्कार ईशिका दुसेजा तृतीय पुरस्कार लव कुश ग़ौर इसके अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार आरिस खान पूर्वी  त्रिपाठी ग़ौरी तोमर दैविक जगताप जाह्नवी वर्मा शास्वत पूर्वी वर्मा त्रिपाठी क्रिसनिका धाकड़ महिमा डेम्बूला रोशनी।

रेडक्रास दिवस पर आयोजित होने वाली चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता टीम इस प्रकार है वैषणवी शर्मा, अथर्व शर्मा जेसिका चौहान, लवकुश गौर, चित्रांशि बाबाडी, ललित शर्मा, मालती सिंह, काशिका कुशवाह, मुस्कान बारोटिया, अक्शा खान, समृद्धि शर्मा, कृतिका पचौरी , आरिश् खान, सारांश कुमार, धृति सिसोदिया, आस्था कुशवाह, निहारिका कुशवाह, भव्या पचोरिया।

मदर्स डे पर आयोजित होने वाली चित्रांकन प्रतियोगिता में विजेता एवम् उप विजेता टीम इस प्रकार है वर्ग ए में प्रथम पुरस्कार दृष्ट प्रजापति द्वितीय पुरस्कार सानवी दुसेजा तृतीय पुरस्कार  प्रनिशा यादव , रोशनी तोमर वर्ग बी में प्रथम पुरस्कार सौम्या अग्रवाल ,ईशा प्रजापति द्वितीय पुरस्कार आकशा खान,सारांश तृतीय पुरस्कार मानवी कोली,निशी गौरी वर्ग सी में प्रथम पुरस्कार जाह्नवी कुशवाहा पूर्वी अग्रवाल द्वितीय पुरस्कार साक्षी शर्मा तृतीय पुरस्कार कृष्णा शर्मा इसके अतिरिक्त सांत्वना पुरस्कार में मुस्कान वोरोठिया ,कशिका कुशवाहा, महिमा डेम्बूला, लवकुश ग़ौर, प्रियंका बाथम, जेसिका चौहान, युवराज नरवरे, निहारिका कुशवाहा,अवनिजा शर्मा, प्रणव अग्रवाल नोमेन हुसैन, द्रष्टि चौरसिया, मनस्वी झा, इशिता दुसेजा, यथार्थ तिवारी रहे।

सोमवार, 5 मई 2025

जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय की जीत: सक्सैना

सरकार से मांग : देश में जातिगत जनगणना कब से होगी इसकी समय सीमा तय करे

ग्वालियर। मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रवि सक्सैना ने कहा है कि देश में होने जा रही जातिगत जनगणना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अडिग लडाई और सामाजिक न्याय की जीत है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह स्पष्ट करे कि देश में जातिगत जनगणना कब से होगी इसकी समय सीमा तय करे। 

मप्र के वरिष्ठ प्रवक्ता रवि सक्सैना ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अडिग रवैये के चलते जातिगत जनगणना सें लेकर नीतिगत सुधारों को लेकर भाजपा को झुकना पडा। उन्होंने कहा कि राुहल गांधी ने भाजपा के वंचित विरोधी नीतियों की पोल खोली और 2023-2024 में संसद से लेकर अपनी रैलियों , प्रेस वार्ताओं सोशल मीडिया पर इस मुददे को सजगता से उठाया। वहीं तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण को एक पारदर्शी समावेशी माडल के रूप में प्रस्तुत करते हुये आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से हटाने की मांग उठाई। और भाजपा को वंचित और पिछडा वर्ग विरोधी मानसिकता को उजागर किया। इसी प्रकार से किसानों से लेकर करोना , नोटबंदी जीएसटी आदि मुददे को भी सजगता से उठाया। 

उन्होंने कहा कि मप्र कांग्रेस कमेटी राहुल गांधी के नेतृत्व में एक समावेशी , न्यायपूर्ण और प्रगतिशील मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए कटिबद्ध है। हम मप्र की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि हम जनता की लडाई को और मजबूत करेंगे और भाजपा की हर जनविरोधी नीति का डटकर मुकाबला करेंगे। पत्रकार वार्ता में प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा, शहर जिलाध्यक्ष डा देवेन्द्र शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह, राम पांडे आदि मौजूद थे।

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2/09/2025, मंगलवार का पंचांग

आप का दिन मंगलमय हो 🙏🏻 *🌞सूर्योदय :-* 06:00 बजे   *🟠सूर्यास्त :-* 18:40 बजे  श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947*  *श्री वीरनिर्वाण संव...