चौंकिए मत! आज का शीर्षक सौ फीसदी सही है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आजकल मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पर लट्टू हैं. वे इससे पहले के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वर्गीय बाबूलाल गौर या कमलनाथ पर इतने फिदा नहीं थे जितने कि डॉ यादव पर हैं.
मप्रके मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पर सिंधिया के फिदा होने की एक वजह हो तो गिना भी दें लेकिन डेढ साल में मुख्यमंत्री यादव ने सिंधिया के अहं को जिस ढंग से संतुष्ट किया है वो काबिले गौर है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने सबसे बडी चुनौती दर असल सिंधिया नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. चौहान का दबाब कम करनेके लिए ही मोहन यादव का झुकाव सिंधिया की ओर हो गया है.
पिछले डेढ साल में सिंधिया ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को जब भी याद किया वे गुना से लेकर ग्वालियर के बीच हाजरी देते नजर आए. मुख्यमंत्री यादव ने सिंधिया को भी खुश रखा और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिह तोमर को भी. मुख्यमंत्री डॉ यादव नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेन्द्र तोमर द्वारा आयोजित भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में भी शामिल हुए. डॉ यादव दर असल हिकमत अमली के उस्ताद साबित हो रहे हैं. उन्हे पता है कि सिंधिया पासंग वाले नेता हैं. वे जब शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में उतरे तो चौहान को सत्ता से हाथ धोना पडे थे, कमलनाथ के खिलाफ उतरे तो उनकी कुरसी चली गई थी और जब सिंधिया कमलनाथ तथा शिवराज सिंह चौहान पर मेहरबान हुए तो उन्हे रातोंरात सत्ता में वापिस भी ले आए थे.
सूत्र बताते हैं कि सिंधिया ने भी सूबे में अपना वजूद बनाये रखने के लिये सिंधिया को खुश रखने में कोई कंजूसी नहीं की. मुख्यमंत्री यादव ने सिंधिया की कमजोर नस पकड ली है. सिंधिया को अपनी जै - जै पसंद है और मुख्यमंत्री यादव को जै- जै करने में कोई संकोच नहीं है. वे समझ गये हैं कि सिंधिया की जै- जै करना सस्ता सौदा है. सिंधिया के इशारे मुख्यमंत्री समझने लगे हैं. किस अफसर को सिंधिया पसंद करते हैं और किससे खफा हैं ये मुख्यमंत्री को पता रहता है. ग्वालियर और गुना में इनदिनों सिंधिया 'मिनी मुख्यमंत्री ' की भूमिका में नजर आने लगे हैं
पिछले दिनों ग्वालियर में समरसता सम्मेलन में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की शान में कसीदे पढे. विधानसभा सभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में कसीदे पढे. सिंधिया ने सम्मेलन में आमंत्रित भीड को भोजन परोसने में भी मुख्यमंत्री का हाथ बंटाया. बेचारे तोमर साहब देखते रहे.दरअसल ग्वालियर भाजपा में सिंधिया समर्थकों की संख्या पहले कम थी, लेकिन अब सिंधिया ने संगठन में भी अपनी जगह बना ली है.
आपको बता दें कि सिंधिया को साधकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादल सूबे में लोकप्रियता के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौऔहान से बडी लकीर खींचने लगे हैं. डॉ यादव अपने आपको आम आदमी के रूप में स्थापित करना चाहते है. इसके लिए वे काम भी कर रहे है.मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निवासी उस वक्त हैरान रह गए, जब गुरुवार की रात प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अचानक उनके बीच पहुंच गए. मुख्यमंत्री ने बाजार में न केवल आम जनता से मुलाकात की और उनका हालचाल जाना, बल्कि एक ठेले वाले से फल भी खरीदे. उन्होंने फल विक्रेता को डिजिटल पेमेंट भी किया.
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने अपने समर्थकों को भाजपा संगठन और निगम, मंडलों में जगह दिलाने की चुनौती है
डॉ यादव से पहले शिवराज सिंह चौहान ने लंबे अरसे तक निगम, मंडलों में नियुक्तियां न कर सिंधिया की खूब किरकिरी कराई. डॉ यादव को पता है कि सिंधिया की पार्टी हाईकमान और आर एस एस में भी गहरी पैठ है जो प्रदेश में सत्ता संतुलन बनाए रखने के बहुत काम आ सकती है. इसलिए वे सिंधिया की हर छोटी- बडी ख्वाहिश पूरी करने में कोई कंजूसी नसी कर रहे है.सिंधिया के आभामंडल का लाभ जितना डॉ मोहन यादव ने हंसते, मुस्कराते ले लिया है इसका अनुमान खुद सिंधिया को भी नहीं है.
मजे की बात ये है कि इस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री यादव के प्रति जितने विनम्र हैं शिवराज सिंह चौहन उतने ही उग्र. चौहान तो पिछले दिनों अपने क्षेत्र के आदिवासियों को लेकर मुख्यमंत्री आवास पर भी जा धमके थे. चौहान ने खाद, बीज के मुद्दे पर परोक्ष रूप से यादव सरकार की किरकिरी कराई. अब देखना ये है कि सिंधिया और डॉ मोहन यादव की ये नयी कैमिस्ट्री कितने दिन चलती है.अतीत में ज्योतिरादित्य के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय मोतीलाल वोरा के बीच भी इसी तरह की कैमिस्ट्री हुआ करती थी.
@ राकेश अचल
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