ग्वालियर/ दतिया सोनागिर--: इमारत जितनी भव्य और विशाल होती है उसकी नींव भी उतनी गहरी होती है। जीवन की धरती पर धर्म की इमारत ख़डी करने के लिए मानवता की गहरी नींव चाहिए। जिस व्यक्ति का हृदय मानवता के सद्गुणों से शून्य है उस व्यक्ति के द्वारा किए गए धार्मिक क्रियाकलाप सार्थक परिणाम देने में समर्थ नहीं हैं। यह बात क्रांतिकारी मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज ने आज मंगलवार को सोनागिर स्थित आचार्यश्री पुष्पदंत सागर सभागृह में धर्मसभा में संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मुनिश्री ने कहा कि हृदय की पवित्रता ही धर्म का आधार है अत: व्यक्ति को अपने हृदय को शुद्ध बनाना चाहिए। हृदय की मलिनता धर्म की तेजस्विता को ख़त्म कर देती है। धर्म की साधना करने के पूर्व मानवता के सद्गुणों का विकास बेहद जरुरी है। मानवता की नींव पर ही धार्मिकता का महल ख़डा होता है।
*धन की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता।*
मुनिश्री ने कहा कि गृहस्थ जीवन में धन की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता। अर्थ के बिना सब व्यर्थ है। मगर धन का उपार्जन न्याय नीति से होना चाहिए। अन्याय से अर्जित धन जीवन में मुसीबतों की फौज लेकर आता है। जो व्यक्ति पापकर्म करके धन कमाते हैं उनका यह लोक शोक और दुखमय होता है और परलोक में नरक आदि दुर्गति के मेहमान बनते हैं। इस सत्य को दृष्टि के समक्ष रखकर ही जीवन के स़फर को तय करना चाहिए।
*इंसान का इंसान बने रहना भी एक ब़डी साधना है।*
मुनिश्री ने कहा कि आज आकृति के मनुष्य तो सभी हैं मगर प्रकृति के मनुष्य मिलना बेहद कठिन है। इंसान का इंसान बने रहना भी एक ब़डी साधना है। वही व्यक्ति सुखी होता है जिसके मन में निर्भयता है। निर्भयता आती है न्याय नीति के पथ पर चलने से। अत: जीवन की डोर न्याय नीति से बंधी होनी चाहिए।
*मुनिश्री को समाजजनों ने श्रीफल भेंट कर आर्शीवाद लिया
चातुर्मास समिति के प्रचार संयोजक सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि धर्म सभा के पहले समाजजनों ने मुनिश्री प्रतीक सागर महाराज के चरणों मे श्रीफल भेंटकर मंगल आशीर्वाद लिया! प्रवचन के उपरांत मुनिश्री की आरती भी की गई ! मुनिश्री के मंगल प्रवचन प्रतिदिन आचार्य पुष्पदंत सागर सभागृह में आयोजित किए जाएंगे!
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